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Mumbai: भारत में चाँदी की कीमतों ने मंगलवार (23 जुलाई) को नया कीर्तिमान बनाया। घरेलू बाजारों में चाँदी की शुरुआती कीमत ₹1.18 लाख प्रति किलोग्राम दर्ज की गई, जो अब तक का सर्वाधिक स्तर है। इस ऐतिहासिक उछाल के पीछे वैश्विक बुलियन बाजारों में मजबूती और रुपये की कमजोरी मुख्य कारण रही।
वैश्विक बाजारों से संकेत
गुडरिटर्न्स (Goodreturns) के आंकड़ों के अनुसार, चाँदी की कीमतें भारत में अंतरराष्ट्रीय रुझानों का करीबी अनुसरण करती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंगलवार को स्पॉट सिल्वर हल्की गिरावट के साथ 0.3% घटकर $39.15 प्रति औंस पर रही। इसके बावजूद कीमतें पिछले 14 वर्षों के उच्चतम स्तर के आसपास बनी हुई हैं। इसका बड़ा कारण अमेरिका में व्यापार नीति से जुड़ी अनिश्चितताएं और निवेशकों का सुरक्षित निवेश (safe haven) की ओर रुख करना है।
मेहता इक्विटीज (Mehta Equities) के वाइस प्रेसिडेंट (कमोडिटीज) राहुल कलंत्री ने कहा,
“चाँदी में तेजी का मुख्य कारण अमेरिका-चीन व्यापार तनाव और 1 अगस्त की समयसीमा से जुड़ी आशंकाएँ हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर सौदा नहीं हुआ तो टैरिफ़ और बढ़ाए जाएंगे। इस कारण निवेशक सुरक्षित निवेश साधनों जैसे सोना और चाँदी की ओर रुख कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे बताया कि अमेरिकी डॉलर इंडेक्स और ट्रेजरी यील्ड्स में कमजोरी के साथ-साथ रुपये का अवमूल्यन (depreciation) भी घरेलू बुलियन की कीमतों को सहारा दे रहा है।
तकनीकी दृष्टिकोण: कहाँ है सपोर्ट और रेज़िस्टेंस
विश्लेषकों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चाँदी को $38.75–38.55 प्रति औंस पर सपोर्ट और $39.45–39.65 प्रति औंस पर रेज़िस्टेंस मिलेगा। भारत में मेहता इक्विटीज के अनुसार, ₹1,14,780–1,13,850 प्रति किलोग्राम पर सपोर्ट और ₹1,16,450–1,16,950 प्रति किलोग्राम पर रेज़िस्टेंस के स्तर बने रहेंगे।
भविष्य की दिशा: निवेशकों के लिए क्या संकेत?
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा परिस्थितियों में चाँदी के दामों में आगे और बढ़ोतरी की संभावना बनी हुई है। पीएल कैपिटल–प्रभुदास लीलाधर (PL Capital – Prabhudas Lilladher) के सीईओ (रिटेल ब्रोकिंग और डिस्ट्रीब्यूशन) संदीप रायचुरा का कहना है,
“चाँदी अब ‘गरीबों का सोना’ की छवि से आगे बढ़कर स्मार्ट निवेशकों के लिए रणनीतिक धातु बनती जा रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs), सोलर एनर्जी और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों से बढ़ती मांग और आपूर्ति में कमी की वजह से चाँदी की मौलिक स्थिति बेहद मजबूत है।”
उन्होंने आगे कहा कि गोल्ड-टू-सिल्वर रेशियो यह संकेत दे रहा है कि चाँदी में अभी और तेजी की गुंजाइश है। आने वाले दो वर्षों में चाँदी $48–58 प्रति औंस तक जा सकती है।
निवेशकों की नई रणनीति
कमजोर डॉलर, उच्च मुद्रास्फीति (sticky inflation) और सिल्वर ईटीएफ (Silver ETFs) में लगातार निवेश प्रवाह से चाँदी की कीमतों को निकट भविष्य में समर्थन मिल सकता है। दीर्घकालीन निवेश के लिहाज से निवेशक अब चाँदी को संपत्ति संरक्षण और वृद्धि का एक सशक्त विकल्प मान रहे हैं।
निष्कर्ष
वर्तमान परिदृश्य में चाँदी का रुख सकारात्मक बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक परिस्थितियाँ इसी प्रकार अनिश्चित बनी रहीं, तो चाँदी की कीमतें ₹1.20 लाख प्रति किलोग्राम से ऊपर भी जा सकती हैं। हालांकि, निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे तकनीकी स्तरों और अंतरराष्ट्रीय संकेतों पर नजर रखते हुए ही निवेश निर्णय लें।
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