सेबी के नए चार्जेज से म्यूचुअल फंड में निवेश होगा आसान और अधिक किफायती भी

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नई दिल्ली:  भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने म्यूचुअल फंड उद्योग के लिए नए चार्जेज नॉर्म्स (Fee Norms) लागू किए हैं, जिनका उद्देश्य निवेशकों को पारदर्शी और प्रदर्शन-आधारित लाभ देना है। सेबी के इस कदम पर मनीफ्रंट के सह-संस्थापक और सीईओ मोहित गांग ने कहा कि ये सुधार म्यूचुअल फंड उद्योग को “निष्पक्ष और जवाबदेह” बनाएंगे, हालांकि इसके साथ कुछ व्यावहारिक चुनौतियाँ भी रहेंगी।

मोहित गांग ने एक मीडिया समूह से बातचीत में बताया कि सेबी के नए नियमों से टोटल एक्सपेंस रेशियो (TER) में 15 से 25 बेसिस पॉइंट (bps) की कमी की जा रही है। यह बदलाव न केवल निवेशकों के लिए दीर्घकालिक लाभ लाएगा बल्कि एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) के संचालन और प्रबंधन शैली में भी परिवर्तन लाएगा।


💡 15–25 bps की कटौती का वास्तविक असर

गांग ने कहा कि यह कटौती भले ही पहली नजर में मामूली लगे, लेकिन दीर्घावधि में निवेशकों के लिए यह बचत काफी मायने रखेगी। उदाहरण के तौर पर, यदि कोई निवेशक ₹1 लाख का निवेश 12% वार्षिक रिटर्न पर करता है, तो उसे लगभग ₹1,500 से ₹2,500 तक की फीस में बचत हो सकती है।

उन्होंने समझाया, “₹10 लाख के निवेश पर 5 साल में यह कटौती लगभग ₹19,000 की अतिरिक्त बचत ला सकती है, जबकि 10 वर्षों में यह रकम ₹80,000 से ₹1,20,000 तक बढ़ सकती है।”


⚖️ खर्चों का पुनर्वितरण, न कि केवल कटौती

मोहित गांग ने स्पष्ट किया कि सेबी का यह कदम केवल खर्चों की “कटौती” नहीं बल्कि एक “पुनर्संरचना” है। “पहले जो 5 bps का अतिरिक्त शुल्क कंपनियों को मिलता था, उसे अब हटाया गया है, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी,” उन्होंने कहा।


📄 टैक्स को TER से अलग दिखाने का लाभ

अब TER में केवल ऑपरेशनल खर्च शामिल होंगे, जबकि GST और STT को अलग से प्रदर्शित किया जाएगा। इससे निवेशकों के लिए लागत की स्पष्टता बढ़ेगी, हालांकि शुरुआती चरण में कुछ भ्रम की स्थिति भी बन सकती है।


⚠️ प्रदर्शन-आधारित शुल्क में जोखिम और लाभ दोनों

सेबी के नए नियमों के तहत, शुल्क अब फंड के प्रदर्शन से जुड़ा होगा। इस पर गांग ने कहा, “अगर अल्पकालिक प्रदर्शन पर शुल्क आधारित हुआ, तो फंड मैनेजर जोखिमभरी रणनीतियाँ अपना सकते हैं। लेकिन यदि प्रदर्शन 3–5 साल की अवधि में आंका जाए, तो यह निवेशक और प्रबंधक दोनों के हित में होगा।”


📊 नए फंड ऑफर (NFO) पर असर

सेबी ने यह भी तय किया है कि अब NFO की लागत AMCs को खुद वहन करनी होगी, जिससे ‘चमकदार मार्केटिंग’ कम होगी। गांग के अनुसार, “अब फंड हाउस केवल अनोखे और सार्थक थीम पर ही नए फंड लॉन्च करेंगे, जिससे बाजार में गुणवत्ता बढ़ेगी।”


💰 SIP निवेशकों के लिए क्या होगा फायदा

₹5,000 मासिक SIP पर 12% वार्षिक रिटर्न मानते हुए, 15–25 bps की कटौती से निवेशक को 5 साल में ₹2,500–₹4,000 और 10 साल में ₹10,000–₹20,000 तक की बचत होगी। गांग का कहना है, “यह मामूली जरूर है, पर लंबे समय में निवेशकों की संपत्ति में 1–2% की अतिरिक्त वृद्धि ला सकता है।”


🏦 क्या कम शुल्क से निवेशक संख्या बढ़ेगी?

मोहित गांग का मानना है कि केवल शुल्क घटाने से निवेशकों की संख्या नहीं बढ़ेगी। “म्यूचुअल फंड को ग्रामीण भारत तक पहुँचाने के लिए बैंकों, डाकघरों और UPI आधारित ऐप्स के साथ साझेदारी करनी होगी। ₹100 से शुरू होने वाली माइक्रो SIPs को प्रोत्साहन देना चाहिए,” उन्होंने सुझाव दिया।


📈 भविष्य की दिशा

सेबी का यह कदम उद्योग को दीर्घकालिक रूप से अधिक पारदर्शी, प्रतिस्पर्धी और निवेशक-केंद्रित बनाएगा। हालांकि, प्रदर्शन आधारित शुल्क मॉडल को लागू करने में एकरूपता और स्पष्टता सुनिश्चित करना नियामक के लिए चुनौतीपूर्ण रहेगा।


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By MFNews