रिलायंस का ऐतिहासिक योगदान: 2024-25 में सरकारी खजाने में ₹2.10 लाख करोड़ जमा, छह साल में ₹10 लाख करोड़ पार

Reliance Industries Responds to Global Crude Restrictions, Reaffirms Commitment to Compliance and Energy Security
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पिछले एक दशक में शेयरधारकों की संपत्ति में 5 गुना से अधिक की वृद्धि, मुनाफे और राजस्व में भी जबरदस्त उछाल

मुंबई: देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने एक बार फिर अपने विशाल आर्थिक प्रभाव का परिचय देते हुए वित्त वर्ष 2024-25 में भारत सरकार के खजाने में ₹2,10,269 करोड़ का योगदान किया है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष के ₹1,86,440 करोड़ से 12.8% अधिक है, और पहली बार रिलायंस का वार्षिक सरकारी योगदान ₹2 लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया है।

रिलायंस का यह योगदान कर, उपकर, स्पेक्ट्रम शुल्क और अन्य प्रकार की सरकारी देनदारियों के रूप में किया गया है, जो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।


छह वर्षों में ₹10 लाख करोड़ से अधिक का कुल सरकारी योगदान

कंपनी की हाल ही में जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 से लेकर वित्त वर्ष 2025 तक, रिलायंस ने सरकार के राजस्व में कुल ₹10 लाख करोड़ से अधिक का योगदान किया है। इस प्रकार, रिलायंस भारत की सरकारी आय में सबसे बड़ा निजी योगदानकर्ता बन गया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस विशाल योगदान के पीछे कंपनी के विविध व्यवसाय क्षेत्रों जैसे तेल एवं गैस, दूरसंचार (Jio), खुदरा, डिजिटल सेवाएं और हरित ऊर्जा का बड़ा रोल रहा है।


शेयरधारकों के लिए 10 वर्षों में 5 गुना रिटर्न

रिलायंस की रिपोर्ट न केवल करों और शुल्कों की बात करती है, बल्कि इसमें पिछले 10 वर्षों के वित्तीय प्रदर्शन को भी रेखांकित किया गया है। आंकड़ों के अनुसार:

  • बाजार पूंजीकरण:

    • 2014-15 में ₹3,38,703 करोड़

    • 2024-25 में बढ़कर ₹17,25,378 करोड़

    • 5 गुना से अधिक की वृद्धि

  • समेकित राजस्व:

    • पिछले 10 वर्षों में 3.65 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है।

  • वार्षिक शुद्ध लाभ:

    • 2015-16 में ₹29,861 करोड़

    • 2024-25 में बढ़कर ₹81,309 करोड़

    • 2.72 गुना वृद्धि

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि कंपनी ने न केवल निवेशकों को मजबूत रिटर्न दिया है, बल्कि सतत वृद्धि और लाभप्रदता के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती प्रदान की है।


रिलायंस की विकास यात्रा: नवाचार और विविधता का संगम

रिलायंस इंडस्ट्रीज की विकास गाथा केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। कंपनी ने पिछले दशक में अपने कारोबार के हर क्षेत्र में रणनीतिक विस्तार किया है:

  • Jio के जरिए देश में डिजिटल क्रांति को गति दी

  • रिलायंस रिटेल बना भारत का सबसे बड़ा रिटेल नेटवर्क

  • ऊर्जा क्षेत्र में हरित ऊर्जा की दिशा में निवेश

  • नवाचार और स्टार्टअप सहयोग के जरिए भविष्य की तकनीकों में निवेश

यह बहु-आयामी रणनीति ही है जिसने कंपनी को निरंतर आगे बढ़ने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में टिके रहने का सामर्थ्य दिया है।


भारत के राजस्व तंत्र में रिलायंस की भूमिका

रिलायंस इंडस्ट्रीज का यह रिकॉर्ड योगदान केवल कॉर्पोरेट सफलता नहीं दर्शाता, बल्कि यह देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में निजी क्षेत्र की अहम भूमिका को भी उजागर करता है। जब एक कंपनी अकेले सरकार के राजस्व में लाखों करोड़ का योगदान देती है, तो इससे देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता, बुनियादी ढांचे के विकास और कल्याणकारी योजनाओं को बड़ा बल मिलता है।

वित्त विशेषज्ञों का मानना है कि रिलायंस जैसे संस्थानों का यह योगदान आगामी वर्षों में और बढ़ेगा, खासकर तब जब भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।


निष्कर्ष: आर्थिक राष्ट्रनिर्माण में रिलायंस की ऐतिहासिक भूमिका

रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपने कर भुगतान, निवेश, रोजगार सृजन, और शेयरधारक मूल्य निर्माण के जरिए यह साबित किया है कि निजी कंपनियां भी राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा सकती हैं। कंपनी का बढ़ता हुआ कर योगदान और निवेश भारत की आर्थिक मजबूती और साझेदारी की भावना को उजागर करता है।

जहाँ एक ओर भारत वैश्विक निवेश और उत्पादन हब बनने की ओर बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर रिलायंस जैसे औद्योगिक दिग्गज, इस परिवर्तन को धरातल पर उतारने का काम कर रहे हैं।


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By MFNews