रिलायंस का ग्रीन एनर्जी मिशन: 150 अरब यूनिट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य, 2035 तक नेट-कार्बन ज़ीरो बनने की तैयारी

Reliance Industries Responds to Global Crude Restrictions, Reaffirms Commitment to Compliance and Energy Security

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मुंबई: देश की सबसे बड़ी निजी क्षेत्र की कंपनियों में से एक रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने ग्रीन एनर्जी सेक्टर में अपने अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट्स की घोषणा की है। कंपनी ने गुजरात के कच्छ में विशाल सौर ऊर्जा पार्क के लिए भूमि विकास कार्य शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य हर साल 150 अरब यूनिट बिजली का उत्पादन करना है। यह कदम कंपनी के 2035 तक नेट-कार्बन ज़ीरो बनने के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर माना जा रहा है।

रिलायंस ने अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि कंपनी न केवल सौर ऊर्जा, बल्कि बैटरी स्टोरेज, ग्रीन हाइड्रोजन और कंप्रेस्ड बायोगैस (CBG) जैसी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं पर भी तेज़ी से काम कर रही है। कंपनी का इरादा है कि आने वाले वर्षों में भारत की ऊर्जा खपत का बड़ा हिस्सा ग्रीन सोर्स से पूरा किया जाए।


जियो 2030 तक 100% ग्रीन एनर्जी पर

रिलायंस की दूरसंचार इकाई रिलायंस जियो ने 2030 तक पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी पर शिफ्ट होने का लक्ष्य तय किया है। इस दिशा में कंपनी ने अभी तक 23,699 साइट्स पर सोलर पैनल स्थापित किए हैं, जिससे 212 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है।

इसके अलावा, जियो ने कर्नाटक के बीदर में 35 मेगावाट क्षमता वाला केंद्रीकृत सौर संयंत्र स्थापित किया है। दिलचस्प बात यह है कि जियो की प्रति जीबी डेटा ट्रैफिक पर ऊर्जा खपत वैश्विक औसत से लगभग 70% कम है, जैसा कि जीएसएमएआई की मार्च 2025 की एनर्जी बेंचमार्किंग रिपोर्ट में बताया गया है। यह जियो को दुनिया के सबसे ऊर्जा-कुशल टेलीकॉम ऑपरेटरों में शामिल करता है।


सोलर पीवी गीगा फैक्ट्री और बैटरी मैन्युफैक्चरिंग में तेजी

गुजरात के जामनगर में रिलायंस की सोलर पीवी गीगा फैक्ट्री पहले ही 1 गीगावाट से अधिक उत्पादन क्षमता के साथ शुरू हो चुकी है। कंपनी का लक्ष्य है कि वित्त वर्ष 2025-26 के अंत तक इसे 10 गीगावाट एकीकृत सोलर पीवी निर्माण क्षमता तक पहुंचाया जाए।

साथ ही, कंपनी 30 GWh बैटरी मैन्युफैक्चरिंग सुविधा भी चरणबद्ध तरीके से 2025-26 तक चालू करने की योजना बना रही है। यह सुविधा बड़े पैमाने पर ऊर्जा भंडारण क्षमता बढ़ाने में मदद करेगी, जो भविष्य में सौर और पवन ऊर्जा के बेहतर उपयोग के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।


बायोगैस और ग्रीन हाइड्रोजन पर फोकस

रिलायंस वर्तमान में 7 कंप्रेस्ड बायो गैस (CBG) संयंत्र संचालित कर रही है, जिनकी कुल क्षमता 130 TPD है। ये संयंत्र उच्च गुणवत्ता वाली 2 लाख TPA जैविक खाद का भी उत्पादन कर रहे हैं, जिससे कृषि क्षेत्र को सीधा लाभ होगा।

कंपनी का लक्ष्य है कि देशभर में 55 CBG संयंत्र स्थापित किए जाएं। इसके साथ ही, रिलायंस ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए एक मल्टी-गीगावाट इलेक्ट्रोलाइजर सुविधा स्थापित कर रही है। इसके लिए कंपनी ने दहेज़ के पास नौयान शिपयार्ड का अधिग्रहण भी किया है।


ग्रीन केमिकल और ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स

सौर और बायोगैस प्रोजेक्ट्स के अलावा, कंपनी गुजरात के कांडला में 2,000 एकड़ भूमि पर ग्रीन केमिकल उत्पादन शुरू करने जा रही है। इसके अलावा, कांडला और लकड़िया-1 में दो बड़े ऊर्जा ट्रांसमिशन प्रोजेक्ट्स भी रिलायंस को मिले हैं, जो स्वच्छ ऊर्जा के वितरण को और तेज़ करेंगे।


पर्यावरण और अर्थव्यवस्था पर असर

इन ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स से न केवल भारत के कार्बन फुटप्रिंट में कमी आएगी, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होगी। सौर और हाइड्रोजन आधारित बिजली उत्पादन से आयातित कोयले और गैस पर निर्भरता घटेगी। साथ ही, यह परियोजनाएं रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेंगी, विशेष रूप से इंजीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन, और मेंटेनेंस सेक्टर में।


रिलायंस का यह कदम भारतीय कॉर्पोरेट सेक्टर में ग्रीन एनर्जी की ओर सबसे बड़े शिफ्ट्स में से एक है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर ये परियोजनाएं समय पर पूरी होती हैं, तो भारत के 2070 नेट-ज़ीरो लक्ष्य को हासिल करने में यह एक महत्वपूर्ण योगदान होगा।


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By MFNews