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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज एक महत्वपूर्ण उपलब्धि पर प्रकाश डाला कि भारत की डाक प्रणाली (India Post Office) और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) मिलकर अब विश्व की सबसे बड़ी डोरस्टेप बैंकिंग नेटवर्क बन चुकी है।
प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया द्वारा लिखे गए एक लेख को साझा करते हुए कहा कि यह परिवर्तन अभूतपूर्व सरकारी प्रयासों का नतीजा है।
🔹 प्रधानमंत्री का वक्तव्य
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में Twitter) पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“सरकार के अभूतपूर्व प्रयासों से हमारा साधारण डाकिया वित्तीय समावेशन का वाहक बन गया है। @IndiaPostOffice और @IPPBOnline के साथ, भारत की डाक प्रणाली अब दुनिया का सबसे बड़ा डोरस्टेप बैंकिंग नेटवर्क है, जो गरिमा और सशक्तिकरण सुनिश्चित करता है।”
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने श्री सिंधिया का लेख पढ़ने की भी सिफारिश की, जिससे इस परिवर्तन और दृष्टिकोण को बेहतर समझा जा सके।
Under Hon’ble PM @narendramodi ji’s clarion call of Sabka Saath, Sabka Vikas, Sabka Vishwas, @IndiaPostOffice and @IPPBOnline have redefined one of the world’s oldest postal networks into the globe’s largest doorstep banking system.
In consonance with this vision, the India… pic.twitter.com/grSKCg7h3N
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) September 4, 2025
🔹 केंद्रीय मंत्री का लेख
केंद्रीय मंत्री, श्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने अपने लेख में उल्लेख किया कि:
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भारत का डाक विभाग सिर्फ चिट्ठी और पार्सल बांटने तक सीमित नहीं रहा।
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इसके नेटवर्क और भरोसेमंद डाकियों को वित्तीय समावेशन का आधार बनाया गया है।
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इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) के जरिए अब देश के कोने-कोने तक लोगों को बैंकिंग सेवाएँ सीधे उनके घर पर उपलब्ध हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि यह नेटवर्क दूरदराज़ के गाँवों और हाशिए पर खड़े समाज के वर्गों तक न्यूनतम लागत पर, अधिकतम प्रभाव के साथ बैंकिंग सुविधा पहुँचा रहा है।
🔹 वैश्विक परिप्रेक्ष्य
भारत की 1.5 लाख से अधिक डाक शाखाएँ और लाखों डाक कर्मचारियों की उपस्थिति ने इसे दुनिया का सबसे व्यापक नेटवर्क बना दिया है।
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अब यह न सिर्फ पत्र पहुँचाने का काम कर रहा है, बल्कि
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बचत खाता, बीमा, मनी ट्रांसफर और अन्य बैंकिंग सुविधाएँ भी सीधे घर बैठे उपलब्ध करा रहा है।
इस नई पहचान ने भारत को वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) के क्षेत्र में एक अग्रणी राष्ट्र बना दिया है।
🔹 गरिमा और सशक्तिकरण
प्रधानमंत्री और मंत्री के संदेश में यह बात विशेष रूप से रेखांकित की गई है कि:
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अब “डाकिया” केवल पत्र वाहक नहीं रहा, बल्कि
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ग्रामीण भारत के करोड़ों लोगों के लिए वित्तीय सेवाओं का विश्वसनीय दूत बन गया है।
यह पहल गरीब, किसान, वरिष्ठ नागरिक और महिलाओं के लिए गरिमा और आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करती है।
👉 कुल मिलाकर, प्रधानमंत्री मोदी की यह टिप्पणी भारत की डाक व्यवस्था को परंपरा से आधुनिकता की ओर बढ़ते हुए एक ऐसा मॉडल साबित करती है, जो दुनिया भर में वित्तीय समावेशन का उदाहरण बन सकता है।
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