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Chandigarh: HDFC बैंक ने चुनिंदा अवधि के लिए अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स-बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 10 आधार अंकों (bps) तक की कटौती की है। यह कटौती 7 नवंबर 2025 से प्रभावी हो गई है।
यह कदम उन कर्जदारों के लिए राहत लेकर आया है, जिनके होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन जैसे फ्लोटिंग रेट लोन MCLR से जुड़े हुए हैं।
कटौती का मुख्य विवरण
| ऋण अवधि (Loan Tenure) | संशोधित MCLR (%) (Revised MCLR (%)) | पुरानी MCLR (%) (Earlier MCLR (%)) |
| ओवरनाइट (Overnight) | 8.35 | 8.45 |
| एक महीना (One Month) | 8.35 | 8.40 |
| तीन महीने (Three Months) | 8.40 | 8.45 |
| छह महीने (Six Months) | 8.45 | 8.55 |
| एक वर्ष (One Year) | 8.50 | 8.55 |
| दो वर्ष (Two Years) | 8.55 | 8.60 |
| तीन वर्ष (Three Years) | 8.60 | 8.65 |
| MCLR रेंज | 8.35% से 8.60% | 8.45% से 8.65% |
(स्रोत: उपलब्ध जानकारी के अनुसार, 10 आधार अंक 0.10 प्रतिशत के बराबर होता है)
कर्जदारों पर क्या होगा असर?
- MCLR से जुड़े कर्जदार:
- जिन ग्राहकों के होम, ऑटो या पर्सनल लोन MCLR से जुड़े हैं, उन्हें इस कटौती का फायदा मिलेगा।
- उनकी EMI (मासिक किस्त) या तो थोड़ी कम हो जाएगी या लोन की अवधि (Tenure) कम हो जाएगी।
- हालांकि, यह बदलाव तुरंत लागू नहीं होगा। यह उनकी अगली रीसेट अवधि (Reset Period) पर लागू होगा, जो आमतौर पर 6 महीने या 1 साल की होती है।
- अन्य बेंचमार्क से जुड़े कर्जदार:
- जिन ग्राहकों के लोन बाहरी बेंचमार्क (External Benchmarks), जैसे कि RBI के रेपो रेट से जुड़े हैं, उन पर इस बदलाव का कोई असर नहीं पड़ेगा।
MCLR को समझना
- MCLR (Marginal Cost of Funds-based Lending Rate) वह न्यूनतम ब्याज दर है जिस पर कोई बैंक ग्राहकों को ऋण दे सकता है।
- यह दर बैंक के फंड की सीमांत लागत (Marginal Cost of Funds), परिचालन व्यय (Operating Expenses), और ऋण अवधि प्रीमियम (Tenor Premium) जैसे आंतरिक कारकों को ध्यान में रखकर तय की जाती है।
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