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नई दिल्ली: भारत सरकार ने जुलाई 2025 के लिए माल एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रहण के आंकड़े जारी किए हैं। इस महीने कुल सकल जीएसटी संग्रहण ₹1.96 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि के ₹1.82 लाख करोड़ की तुलना में 7.5% अधिक है। यह अब तक का तीसरा सबसे ऊंचा मासिक जीएसटी कलेक्शन है, जिससे देश में आर्थिक गतिविधियों में मजबूती का संकेत मिलता है।
हालांकि सकल जीएसटी संग्रहण में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन नेट जीएसटी राजस्व — यानी रिफंड्स हटाकर सरकार को प्राप्त वास्तविक आय — में केवल 1.7% की वृद्धि हुई है। यह वृद्धि इस तथ्य को उजागर करती है कि सरकार ने व्यवसायों को रिफंड के रूप में बड़ी राशि लौटाई है, जिससे शुद्ध राजस्व में अपेक्षाकृत कम बढ़ोतरी दर्ज हुई।
क्या है सकल और शुद्ध कलेक्शन में फर्क?
सकल जीएसटी कलेक्शन में केंद्र सरकार द्वारा एकत्र की गई कुल राशि शामिल होती है, जिसमें केंद्रीय जीएसटी (CGST), राज्य जीएसटी (SGST), एकीकृत जीएसटी (IGST), और उपकर (cess) शामिल होते हैं। लेकिन नेट कलेक्शन से रिफंड राशि घटा दी जाती है, जो सरकार को वास्तव में उपलब्ध राजस्व को दर्शाता है।
जुलाई 2025 में सकल कलेक्शन तो ₹1.96 लाख करोड़ रहा, लेकिन रिफंड्स में उछाल के चलते शुद्ध राजस्व ₹1.69 लाख करोड़ पर सीमित रहा। पिछले साल जुलाई में यह ₹1.66 लाख करोड़ था। रिफंड राशि इस बार ₹27,000 करोड़ से अधिक रही, जो पिछले साल की ₹16,000 करोड़ की तुलना में लगभग 67% अधिक है। इसका प्रमुख कारण इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर और निर्यातों पर रिफंड संबंधी नीति है।
वित्त वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही में रुझान
वित्त वर्ष 2025–26 के पहले चार महीनों (अप्रैल–जुलाई) में सकल जीएसटी कलेक्शन ₹8.18 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि के ₹7.39 लाख करोड़ से 10.7% अधिक है। वहीं, इसी अवधि में नेट जीएसटी कलेक्शन ₹7.11 लाख करोड़ रहा, जो पिछले साल के ₹6.56 लाख करोड़ की तुलना में 8.4% ज्यादा है।
यह आंकड़े इस बात का संकेत देते हैं कि जबकि सरकार को सकल कर संग्रहण में अच्छी वृद्धि मिल रही है, रिफंड्स में तेजी के कारण शुद्ध राजस्व वृद्धि की दर थोड़ी धीमी है।
राज्यों का प्रदर्शन
राज्यवार आंकड़ों के अनुसार, पूर्वोत्तर राज्यों ने सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की है:
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त्रिपुरा: 41%
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मेघालय: 26%
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सिक्किम: 23%
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नागालैंड: 22%
अन्य बड़े राज्यों में:
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मध्य प्रदेश: 18%
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बिहार: 16%
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आंध्र प्रदेश: 14%
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हरियाणा और पंजाब: 12%
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तमिलनाडु: 8%
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कर्नाटक: 7%
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महाराष्ट्र: 6%
वहीं कुछ राज्यों में गिरावट दर्ज की गई है:
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मणिपुर: -36%
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मिजोरम: -21%
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जम्मू-कश्मीर: -5%
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चंडीगढ़: -5%
इससे यह स्पष्ट है कि देश के विभिन्न हिस्सों में जीएसटी संग्रहण में असमानता बनी हुई है, और आर्थिक गतिविधियों का स्तर क्षेत्रीय रूप से भिन्न है।
घरेलू बनाम आयात आधारित राजस्व
नेट कलेक्शन के भीतर, घरेलू लेनदेन से प्राप्त राजस्व में 0.2% की गिरावट दर्ज की गई, जबकि आयात से संबंधित जीएसटी में 7.5% की वृद्धि हुई। इससे संकेत मिलता है कि घरेलू उत्पादन और बिक्री की तुलना में आयात आधारित गतिविधियों में अपेक्षाकृत अधिक तेजी रही है।
रिफंड्स के वर्गीकरण के अनुसार, ₹17,000 करोड़ का रिफंड घरेलू टैक्स स्ट्रक्चर से संबंधित था, जबकि ₹10,000 करोड़ आयात आधारित लेनदेन से जुड़ा था।
निर्माण गतिविधियों और उद्योग का परिदृश्य
जुलाई 2025 में भारत की विनिर्माण गतिविधि में अच्छी तेजी देखी गई। मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) 59.1 के स्तर पर पहुंचा, जो 16 महीनों में सबसे ऊंचा है। यह आर्थिक गतिविधियों में स्थिरता और मांग में मजबूती का संकेत देता है, और यह जीएसटी कलेक्शन में वृद्धि के साथ मेल खाता है।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों का मानना है कि इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर के कारण कंपनियों को रिफंड का लाभ तो मिल रहा है, लेकिन इससे सरकार के नेट राजस्व पर असर पड़ रहा है। इसके अलावा, कंपनियों द्वारा ई-इनवॉयसिंग और आईटी सिस्टम की पारदर्शिता के कारण रिफंड प्रोसेस तेजी से हो रहा है, जिससे नकदी प्रवाह सुधर रहा है।
हालांकि, कई विशेषज्ञों का सुझाव है कि जीएसटी काउंसिल को इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर को तर्कसंगत बनाने की दिशा में तेजी से कदम उठाने चाहिए ताकि भविष्य में राजस्व वृद्धि के आंकड़े और सुदृढ़ हो सकें।
निष्कर्ष
भारत में जुलाई 2025 के जीएसटी कलेक्शन आंकड़े यह संकेत देते हैं कि अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है। लेकिन बढ़ते रिफंड्स से शुद्ध राजस्व की वृद्धि सीमित रह गई है। जहां एक ओर आर्थिक गतिविधियों में स्थिरता का संकेत मिलता है, वहीं सरकार को अपनी टैक्स नीति, संरचना और दरों की समीक्षा कर यह सुनिश्चित करना होगा कि जीएसटी प्रणाली स्थायी रूप से राजस्व सृजन में सक्षम हो।
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