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नई दिल्ली – अगर आपने कभी चेक से भुगतान किया है, तो आप जानते होंगे कि पैसा खाते में आने या जाने में अक्सर 2–3 दिन लग जाते हैं। लेकिन अब यह इंतज़ार खत्म होने जा रहा है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने घोषणा की है कि 4 अक्टूबर 2025 से चेक क्लीयरेंस की प्रक्रिया तेज़ हो जाएगी और पैसा कुछ घंटों में ट्रांसफर हो जाएगा।
यह बदलाव चेक ट्रंकेशन सिस्टम (CTS) में सुधार के तहत किया जा रहा है। अब चेक प्रोसेसिंग ‘बैच’ में नहीं, बल्कि लगातार (continuous) आधार पर होगी। इससे लाखों बैंक ग्राहकों को तेज़ और आसान सेवा मिलेगी।
अभी क्या होता है?
फिलहाल, जब आप बैंक में चेक जमा करते हैं, तो बैंक चेक को स्कैन करके क्लियरिंग हाउस को भेजता है, लेकिन यह काम दिन में कुछ तय समय पर ‘बैच प्रोसेसिंग’ के रूप में होता है। फिर क्लीयरेंस और सेटलमेंट में दो कार्यदिवस तक लग जाते हैं।
नया सिस्टम कैसे काम करेगा?
RBI के नए नियमों के तहत:
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बैंक सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक लगातार चेक स्कैन करके क्लियरिंग हाउस को भेजेंगे।
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क्लियरिंग हाउस तुरंत चेक की इमेज संबंधित ड्रॉई बैंक (जिस बैंक से पैसा निकलना है) को भेज देगा।
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ड्रॉई बैंक को तय समय के भीतर यह बताना होगा कि चेक पास किया जाएगा या अस्वीकृत।
दो चरणों में लागू होगा बदलाव
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पहला चरण – 4 अक्टूबर 2025 से
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ड्रॉई बैंक को शाम 7:00 बजे तक कन्फर्मेशन देना होगा।
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अगर बैंक समय पर जवाब नहीं देता, तो चेक को स्वीकृत (approved) मान लिया जाएगा।
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दूसरा चरण – 3 जनवरी 2026 से
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कन्फर्मेशन का समय घटाकर सिर्फ 3 घंटे कर दिया जाएगा।
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उदाहरण: अगर चेक 10:00 से 11:00 बजे के बीच जमा हुआ, तो 2:00 बजे तक कन्फर्मेशन ज़रूरी होगा।
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समयसीमा में कन्फर्मेशन न मिलने पर चेक स्वीकृत माना जाएगा।
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घंटे-घंटे पर होगा सेटलमेंट
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सेटलमेंट (यानी बैंक से बैंक पैसे का ट्रांसफर) हर घंटे 11:00 बजे से लेकर प्रेज़ेंटेशन विंडो के बंद होने तक होगा।
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सेटलमेंट के तुरंत बाद, प्रेज़ेंटिंग बैंक (जहाँ चेक जमा हुआ है) को एक घंटे के भीतर ग्राहक के खाते में पैसा डालना होगा, बशर्ते सभी जरूरी चेक पूरे हो चुके हों।
RBI का उद्देश्य
RBI के अनुसार इस कदम के तीन बड़े फायदे होंगे:
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तेज़ ट्रांज़ैक्शन – अब चेक से भुगतान कुछ घंटों में पूरा होगा।
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ग्राहकों के लिए सुविधा – लंबे इंतज़ार और देरी से बचाव।
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कारोबार में गति – बिज़नेस और संस्थाओं के लिए कैश फ्लो बेहतर होगा।
RBI ने सभी बैंकों को समय रहते सिस्टम अपग्रेड करने और ग्राहकों को नए टाइमलाइन की जानकारी देने का निर्देश दिया है।
ग्राहकों के लिए फायदे
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अब चेक जमा करने के बाद अगले दिन का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
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बिज़नेस पेमेंट्स जल्दी क्लियर होंगे, जिससे नकदी की कमी की समस्या कम होगी।
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बैंक हॉलिडे के प्रभाव को कम किया जा सकेगा, क्योंकि प्रक्रिया तेज़ है।
संभावित चुनौतियाँ
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बैंकों के लिए IT इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड करना जरूरी होगा।
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ग्रामीण और छोटे कस्बों के बैंक शाखाओं में स्कैनिंग और नेटवर्क कनेक्टिविटी का स्तर सुधारना पड़ेगा।
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ग्राहकों को भी नए समय-सीमा और प्रोसेस की जानकारी दी जानी जरूरी है।
विशेषज्ञों की राय
बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम डिजिटल भुगतान के युग में भी चेक ट्रांज़ैक्शन को प्रासंगिक बनाएगा। हालांकि, इसके सफल क्रियान्वयन के लिए बैंकों को पर्याप्त प्रशिक्षण, स्टाफ और तकनीकी सहायता उपलब्ध करानी होगी।
अतिरिक्त कदम – विदेशी मुद्रा बैलेंस में निवेश
RBI ने यह भी घोषणा की है कि अतिरिक्त विदेशी मुद्रा रुपये बैलेंस को सरकारी बॉन्ड में निवेश करने की अनुमति दी जाएगी।
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इससे लिक्विडिटी (तरलता) बढ़ेगी।
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विदेशी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए भारत में फंड मैनेजमेंट आसान होगा।
निष्कर्ष
RBI का यह नया नियम न केवल बैंकिंग सेक्टर को तेज़ और आधुनिक बनाएगा, बल्कि ग्राहकों के लिए भी एक बड़ी राहत साबित होगा। लंबे समय से चली आ रही चेक क्लीयरेंस में देरी की समस्या अब अतीत बन जाएगी।
4 अक्टूबर से, “दिनों में नहीं, घंटों में” चेक क्लीयरेंस भारत के बैंकिंग इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
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