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नई दिल्ली – भारत में डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है। पिछले छह वित्तीय वर्षों (2019-20 से 2024-25) में देश में 65,000 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन हुए हैं, जिनकी कुल राशि ₹12,000 लाख करोड़ से भी अधिक रही है। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी ने आज लोकसभा में लिखित उत्तर के रूप में दी।
इस परिवर्तन के पीछे सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI), बैंकों, फिनटेक कंपनियों और राज्य सरकारों की साझा भागीदारी रही है। इन सभी ने मिलकर टियर-2 और टियर-3 शहरों, पूर्वोत्तर राज्यों तथा जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों में डिजिटल भुगतान की पहुंच को बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
PIDF से डिजिटल इंफ्रस्ट्रक्चर को बढ़ावा
डिजिटल भुगतान प्रणाली को सुदृढ़ करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक ने 2021 में पेमेंट्स इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (PIDF) की शुरुआत की थी। इस फंड का उद्देश्य टियर-3 से टियर-6 शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल टच पॉइंट्स की स्थापना को प्रोत्साहित करना था।
31 मई 2025 तक, PIDF के माध्यम से देशभर में 4.77 करोड़ डिजिटल टच पॉइंट्स लगाए जा चुके हैं, जिससे छोटे व्यापारी, दुकानदार और ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी अब डिजिटल भुगतान को आसानी से अपना पा रहे हैं।
डिजिटल पेमेंट इंडेक्स से मापी जा रही प्रगति
RBI ने देश में डिजिटलीकरण की प्रगति को मापने के लिए डिजिटल पेमेंट्स इंडेक्स (RBI-DPI) विकसित किया है। इसका आधार वर्ष मार्च 2018 (इंडेक्स = 100) रखा गया है। सितंबर 2024 में जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, यह इंडेक्स 465.33 पर पहुंच गया है, जो कि देश में तेजी से बढ़ते डिजिटल लेनदेन और अवसंरचना को दर्शाता है।
MSME और छोटे कारोबारियों को मिला प्रोत्साहन
सरकार और RBI द्वारा MSME क्षेत्र और छोटे व्यापारियों को डिजिटल भुगतान अपनाने में सहायता देने के लिए कई योजनाएं चलाई गई हैं:
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BHIM-UPI कम मूल्य लेनदेन के लिए प्रोत्साहन योजना
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TReDS प्लेटफॉर्म के माध्यम से चालान डिस्काउंटिंग की सुविधा
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डेबिट कार्ड लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) का पुनर्गठन
इन पहलों का उद्देश्य डिजिटल लेनदेन को सुलभ, किफायती और सुरक्षित बनाना है ताकि छोटे व्यापारियों की आमदनी और ग्राहक आधार दोनों में वृद्धि हो सके।
आर्थिक समावेशन की दिशा में बड़ा कदम
डिजिटल भुगतान ने वित्तीय समावेशन को एक नई दिशा दी है, विशेषकर वंचित और अनसेवित समुदायों के लिए। UPI जैसे प्लेटफॉर्म ने आम नागरिकों, छोटे दुकानदारों, और ग्रामीण उपयोगकर्ताओं को डिजिटल लेनदेन की सुविधा दी है, जिससे नकदी पर निर्भरता कम हुई है और वे अब औपचारिक वित्तीय प्रणाली का हिस्सा बन सके हैं।
डिजिटल लेनदेन के माध्यम से लोगों की वित्तीय प्रोफ़ाइल तैयार होती है, जिससे बैंकों और NBFCs को उनके क्रेडिट योग्यता का आकलन करने में मदद मिलती है — भले ही पारंपरिक दस्तावेज़ मौजूद न हों। इससे अधिक से अधिक लोगों को आधिकारिक ऋण सुविधा मिलने लगी है, जिससे वे आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं।
भविष्य की दिशा
सरकार की योजना आने वाले वर्षों में भी डिजिटल भुगतान को और अधिक लोकप्रिय बनाने की है, विशेषकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित भुगतान प्रणालियों, वॉयस पेमेंट और डिजिटल मुद्रा (CBDC) जैसी नई तकनीकों के साथ। इसके अलावा, साइबर सुरक्षा, डिजिटल साक्षरता, और भाषाई समावेशन को भी प्राथमिकता दी जा रही है ताकि डिजिटल भुगतान देश के हर कोने तक पहुंचे।
निष्कर्ष
भारत की डिजिटल भुगतान क्रांति अब सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गाँव-गाँव और गली-गली तक पहुँच चुकी है। इसका असर केवल भुगतान प्रणाली तक सीमित नहीं, बल्कि यह पूरे देश के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने को बदल रहा है। आने वाले समय में यह परिवर्तन और भी गहरा होगा।
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