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नई दिल्ली: त्योहारी सीज़न की आहट के साथ ही हर भारतीय यात्री की सबसे बड़ी चिंता होती है—आसमान छूते हवाई किराये! लेकिन इस बार, लगता है नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने जनता की इस दुखती रग को पहचान लिया है और एक सराहनीय ‘प्रो-एक्टिव’ कदम उठाया है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) के निर्देश पर DGCA ने त्योहारी भीड़ से पहले ही हवाई किराये के ट्रेंड्स की समीक्षा की है और एयरलाइंस को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए वे अपनी उड़ान क्षमताओं को बढ़ाएँ। DGCA का यह कदम सीधे तौर पर यात्रियों के हितों की रक्षा करने और कीमतों में बेतहाशा उछाल को नियंत्रित करने के लिए है।
यह ख़बर उन लाखों परिवारों के लिए एक बड़ी राहत है, जो दिवाली, छठ पूजा या अन्य त्योहारों पर अपनों से मिलने के लिए यात्रा करने की योजना बना रहे हैं। अक्सर, इन दिनों में, हवाई टिकटों की कीमत इतनी बढ़ जाती है कि सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार के लिए हवाई यात्रा करना एक सपना ही रह जाता है।
एयरलाइंस का जवाब: ‘हम तैयार हैं!’
DGCA की पहल पर एयरलाइंस ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और अपनी कमर कस ली है। उन्होंने अतिरिक्त उड़ानों को शुरू करने की जानकारी दी है, जिससे त्योहारों के दौरान सीटों की उपलब्धता बढ़ेगी और उम्मीद है कि किराये भी नियंत्रण में रहेंगे। यह दिखाता है कि नियामक संस्था के दबाव और जनता की ज़रूरतों को देखते हुए एयरलाइंस भी अपनी जिम्मेदारी समझ रही हैं।
कौन कितनी उड़ानें बढ़ा रहा है, देखिए:
इन आँकड़ों को देखें तो यह स्पष्ट है कि एयरलाइंस मिलकर 1,762 से अधिक अतिरिक्त उड़ानें शुरू कर रही हैं। यह संख्या बताती है कि इस बार त्योहारी सीज़न की यात्रा आसान और शायद थोड़ी सस्ती हो सकती है।
क्यों जरूरी था यह DGCA का हस्तक्षेप?
यह हस्तक्षेप इसलिए आवश्यक था क्योंकि भारत में हवाई यात्रा अब केवल उच्च वर्ग तक सीमित नहीं है। आज, समय बचाने और दूरी कम करने के लिए, मध्यम वर्ग भी हवाई यात्रा को प्राथमिकता दे रहा है। लेकिन जैसे ही मांग बढ़ती है, एयरलाइंस “डायनेमिक प्राइसिंग” (Dynamic Pricing) का इस्तेमाल करके कीमतें आसमान पर पहुँचा देती हैं।
एक यात्री को अक्सर यह शिकायत रहती है कि त्योहार के दिनों में मुंबई से पटना का टिकट यूरोप जाने के टिकट से भी महंगा हो जाता है। DGCA का यह ‘प्रो-एक्टिव’ रवैया उस भरोसे को कायम करता है कि सरकार यात्रियों के साथ खड़ी है।
DGCA ने एयरलाइंस को सिर्फ उड़ानें बढ़ाने के लिए नहीं कहा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि यह क्षमता वृद्धि उन ‘मांग वाले’ (High-Demand) रूट्स पर हो, जहाँ आमतौर पर सबसे ज़्यादा भीड़ और किराये का उछाल देखने को मिलता है। जैसे कि मेट्रो शहरों से उत्तर भारत या पूर्वी भारत के शहरों की ओर जाने वाले रूट्स।
आगे की राह: कड़ी निगरानी जारी
DGCA ने स्पष्ट कर दिया है कि यह कदम सिर्फ एक घोषणा नहीं है, बल्कि एक सतत प्रक्रिया है। महानिदेशालय त्योहारी सीज़न के दौरान एयरलाइन के किरायों और उड़ानों की क्षमता पर ‘कड़ी निगरानी’ (Rigorous Oversight) बनाए रखेगा ताकि यात्रियों के हितों की रक्षा हो सके।
यह देखना महत्वपूर्ण है कि क्या यह अतिरिक्त क्षमता वास्तव में किराए को नियंत्रित कर पाएगी। उम्मीद है कि सीटों की बढ़ी हुई उपलब्धता से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और किराये सामान्य स्तर पर आ जाएंगे।
यह ख़बर सिर्फ हवाई टिकट की कीमतों के बारे में नहीं है, बल्कि यह इस बात का सबूत है कि कैसे एक नियामक संस्था जनता के सुख-दुख में उनके साथ खड़ी हो सकती है। DGCA ने एक ऐसा मानवीय स्पर्श दिया है जो बताता है कि त्योहारों पर अपनों से मिलना हर किसी का हक है, और जेब की चिंता इसे छीन नहीं सकती।
