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• कोर्ट ने कहा: “ब्रांड नामों का दुरुपयोग ग्राहकों को गुमराह करता है”
• रिलायंस की जीत – फर्जी ट्रेडमार्क बेचने वालों पर कोर्ट की सख्ती
• ग्राहकों की सुरक्षा को सर्वोपरि बताते हुए हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़न, फ्लिपकार्ट और अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स को चेतावनी दी है कि वे ‘रिलायंस’ और ‘जियो’ के नकली या अनधिकृत ट्रेडमार्क वाले उत्पादों की बिक्री तुरंत बंद करें। अदालत ने स्पष्ट कहा कि बिना अनुमति ब्रांड नाम या लोगो का उपयोग ग्राहकों को धोखा देने के बराबर है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की एकल पीठ ने रिलायंस इंडस्ट्रीज की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याचिका में रिलायंस ने दावा किया था कि ई-कॉमर्स वेबसाइटों पर कुछ विक्रेता उनके ब्रांड नाम और लोगो की नकल कर नकली उत्पाद बेच रहे हैं, जिससे न केवल ग्राहकों को गुमराह किया जा रहा है बल्कि उनकी प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंच रहा है।
क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट ने रिलायंस की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा:
“ग्राहक ऑनलाइन शॉपिंग करते समय मुख्य रूप से ब्रांड नाम और लोगो पर विश्वास करते हैं। ऐसे में यदि नकली उत्पाद वास्तविक ब्रांड के नाम से बेचे जाएं, तो इससे उपभोक्ता अधिकारों और सुरक्षा को गंभीर खतरा होता है।”
अदालत ने आगे यह भी जोड़ा कि कोई भी उत्पाद, जो रिलायंस या जियो द्वारा स्वीकृत, निर्मित या वितरित नहीं किया गया है, उस पर उनके ट्रेडमार्क का उपयोग नहीं किया जा सकता। इस आदेश के साथ, अदालत ने ऐसे सभी उत्पादों की न केवल बिक्री पर रोक लगाई बल्कि उनके विज्ञापन, प्रचार और निर्माण पर भी रोक लगा दी।
रिलायंस ने क्या कहा?
रिलायंस की ओर से पेश वकीलों ने कोर्ट को बताया कि विभिन्न प्लेटफॉर्म्स पर “Jio”, “Reliance”, या उनसे मिलते-जुलते नामों का उपयोग कर एफएमसीजी और अन्य उपभोक्ता वस्तुएं बेची जा रही हैं। इनमें कई उत्पाद बिल्कुल भी रिलायंस से अधिकृत नहीं थे, लेकिन ग्राहकों को यह विश्वास दिलाया जा रहा था कि ये असली रिलायंस उत्पाद हैं।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि:
“यह सिर्फ ट्रेडमार्क का उल्लंघन नहीं, बल्कि उद्योग जगत और आम जनता दोनों के साथ धोखा है। यह ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स की जिम्मेदारी है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर ऐसे विक्रेताओं को रोके और सही जानकारी प्रदर्शित करें।”
क्यों है यह फैसला अहम?
इस आदेश से यह संदेश गया है कि ई-कॉमर्स कंपनियों की जवाबदेही केवल एक ‘मध्यस्थ’ के रूप में सीमित नहीं रह सकती। जब कोई ब्रांड और उसका ट्रेडमार्क दुरुपयोग का शिकार होता है, तो डिजिटल मंचों को भी जिम्मेदारी लेनी होगी।
यह फैसला न केवल ब्रांड सुरक्षा को मजबूती देता है, बल्कि उपभोक्ता संरक्षण की दिशा में भी एक ठोस कदम है।
आगे क्या?
अब अमेज़न, फ्लिपकार्ट और अन्य संबंधित ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को:
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ऐसे सभी उत्पाद हटाने होंगे जो रिलायंस या जियो के नकली ट्रेडमार्क के साथ सूचीबद्ध हैं।
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ऐसे विक्रेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी जो ट्रेडमार्क उल्लंघन में लिप्त पाए जाएं।
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उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि जो भी उत्पाद बेचे जाएं वे अधिकृत और प्रमाणित हों।
निष्कर्ष:
यह फैसला भारत में डिजिटल कॉमर्स की पारदर्शिता और जिम्मेदारी सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है। जब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स उपभोक्ताओं का भरोसा जीतने की दौड़ में हैं, तो उन्हें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके मंच पर कोई भी गलत या धोखाधड़ीपूर्ण गतिविधि न हो।
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