बीएसई 8 दिसंबर से इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स के लिए प्री-ओपन सेशन शुरू करेगा

BSE to start pre-open session for index and stock futures from December 8

BSE to start pre-open session for index and stock futures from December 8

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मुंबई: देश के अग्रणी शेयर बाजार बीएसई लिमिटेड (BSE Ltd.) ने गुरुवार को घोषणा की कि वह इक्विटी डेरिवेटिव्स सेगमेंट में इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स के लिए प्री-ओपन सेशन की शुरुआत 8 दिसंबर 2025 से करेगा। यह कदम भारतीय वित्तीय बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है, जिससे ट्रेडिंग का अनुभव और भी व्यवस्थित व पारदर्शी होगा।

प्री-ओपन सेशन क्या है?

प्री-ओपन सेशन वह समय होता है जो मुख्य ट्रेडिंग से पहले दिया जाता है। इसमें निवेशक खरीद-बिक्री के ऑर्डर डाल सकते हैं, जिससे बाजार खुलने के समय अचानक होने वाली अस्थिरता कम हो जाती है और शुरुआती मूल्य का निर्धारण अधिक संतुलित तरीके से हो पाता है। अभी तक यह व्यवस्था कैश मार्केट यानी इक्विटी शेयरों के लिए उपलब्ध थी। लेकिन पहली बार इसे इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स तक बढ़ाया जा रहा है।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से फ्यूचर्स ट्रेडिंग में भी प्राइस डिस्कवरी (मूल्य निर्धारण) बेहतर होगा, शुरुआती मिनटों की तेज़ उतार-चढ़ाव (वोलैटिलिटी) कम होगी और बाजार की पारदर्शिता तथा दक्षता बढ़ेगी।

बीएसई सर्कुलर 

बीएसई द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि इस नई सुविधा को लागू करने के लिए ETI API या मार्केट डेटा ब्रॉडकास्ट स्ट्रीम्स में किसी नए बदलाव की आवश्यकता नहीं होगी। इसका मतलब है कि तकनीकी स्तर पर मौजूदा ढांचे में ही यह सुविधा जोड़ दी जाएगी और ट्रेडिंग में किसी तरह की बाधा नहीं आएगी।

सर्कुलर में यह भी कहा गया है कि 6 अक्टूबर 2025 से टेस्टिंग (सिम्युलेशन) एनवायरनमेंट उपलब्ध कराया जाएगा। इस दौरान सभी ट्रेडिंग सदस्य और थर्ड-पार्टी फ्रंट-एंड ट्रेडिंग एप्लिकेशन वेंडर्स से कहा गया है कि वे अपने-अपने एप्लिकेशंस में आवश्यक बदलाव करें और उन्हें टेस्टिंग में परखें। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब यह सुविधा 8 दिसंबर से लाइव होगी, तो सभी प्रतिभागी बिना किसी तकनीकी समस्या के सहजता से इसका उपयोग कर सकें।

बाजार पर संभावित असर

बीएसई का यह कदम भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। विकसित बाजारों जैसे अमेरिका, यूरोप और एशिया के प्रमुख एक्सचेंजों में पहले से ही प्री-ओपन सेशन जैसी व्यवस्थाएं मौजूद हैं। अब बीएसई भी उसी राह पर आगे बढ़ रहा है।

वित्तीय विश्लेषकों के अनुसार, इस फैसले का लाभ मुख्य रूप से निम्न बिंदुओं पर दिखाई देगा:

  1. बेहतर मूल्य निर्धारण: शुरुआती मिनटों में कीमतें अधिक स्थिर रहेंगी।

  2. कम अस्थिरता: अचानक आने वाले उतार-चढ़ाव से छोटे निवेशकों को सुरक्षा मिलेगी।

  3. संस्थागत निवेशकों को सहूलियत: बड़े ऑर्डर वाले संस्थागत निवेशकों को बेहतर अवसर मिलेंगे।

  4. ट्रेडिंग वॉल्यूम में वृद्धि: पारदर्शिता बढ़ने से डेरिवेटिव्स सेगमेंट में अधिक भागीदारी की संभावना।

बीएसई के शेयरों की स्थिति

घोषणा के दिन यानी गुरुवार को बीएसई लिमिटेड के शेयर 1.21% की गिरावट के साथ ₹2,188.80 पर ट्रेड कर रहे थे। हालांकि, पूरे साल 2025 की बात करें तो इस स्टॉक में अब तक 20% से अधिक की वृद्धि हुई है। इससे साफ है कि निवेशक एक्सचेंज की विकास रणनीतियों और तकनीकी सुधारों को लेकर उत्साहित बने हुए हैं।

एनएसई और बीएसई की प्रतिस्पर्धा

यह कदम बीएसई के लिए खास महत्व रखता है क्योंकि भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का दबदबा है। एनएसई पहले से ही फ्यूचर्स और ऑप्शंस ट्रेडिंग में सबसे बड़ा खिलाड़ी है। ऐसे में बीएसई द्वारा प्री-ओपन सेशन की शुरुआत, इसे तकनीकी दृष्टि से अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी और संस्थागत निवेशकों को आकर्षित कर सकती है।

विशेषज्ञों की राय

  • बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि प्री-ओपन सेशन की व्यवस्था भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार को वैश्विक स्तर पर और अधिक विश्वसनीय बनाएगी।

  • ब्रोकरेज हाउस का मानना है कि इससे खुदरा निवेशकों को भी लाभ मिलेगा क्योंकि शुरुआती ट्रेडिंग में अक्सर जो तेज़ उतार-चढ़ाव होते हैं, वे कुछ हद तक नियंत्रित हो पाएंगे।

  • कुछ विश्लेषकों का यह भी कहना है कि यह कदम बीएसई की लिक्विडिटी (तरलता) बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है।

आगे की राह

प्री-ओपन सेशन का सफल क्रियान्वयन भारतीय डेरिवेटिव्स मार्केट के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। यदि यह व्यवस्था सुचारू रूप से काम करती है, तो भविष्य में बीएसई अन्य वित्तीय साधनों (जैसे ऑप्शंस) में भी इसे लागू करने पर विचार कर सकता है।


निष्कर्ष

बीएसई द्वारा 8 दिसंबर से इंडेक्स और स्टॉक फ्यूचर्स में प्री-ओपन सेशन शुरू करना भारतीय पूंजी बाजार में एक सकारात्मक सुधारात्मक कदम है। यह न केवल निवेशकों को अधिक पारदर्शी और स्थिर ट्रेडिंग अनुभव देगा बल्कि भारत के डेरिवेटिव्स बाजार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में भी मदद करेगा।


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By MFNews