दिव्यांगजनों के लिए डिजिटल समावेशन की दिशा में बड़ा कदम: SEBI ने ब्रोकर, म्यूचुअल फंड और अन्य को दिए स्पष्ट निर्देश

SEBI issued new rules: Now investors' records will be safe on surrender of KRA registration

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नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने देश के सभी स्टॉक ब्रोकर, म्यूचुअल फंड, एक्सचेंज, डिपॉजिटरी और अन्य मार्केट इंटरमीडियरी को निर्देश दिया है कि वे अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म को दिव्यांगजनों (Persons with Disabilities – PwDs) के लिए पूरी तरह से सुगम और सुलभ बनाएं।

SEBI ने यह अहम सर्कुलर 31 जुलाई को जारी किया, जो उन सभी निवेशकों के अधिकारों की रक्षा करता है जो शारीरिक या मानसिक अक्षमता के बावजूद भारत के प्रतिभूति बाजार में सक्रिय भागीदारी करना चाहते हैं। यह निर्णय अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट के उस ऐतिहासिक फैसले के बाद आया है जिसमें डिजिटल पहुंच को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के तहत मान्यता दी गई थी।

सभी प्लेटफॉर्म होंगे समावेशी और सुगम

SEBI ने सभी नियामक संस्थाओं को निर्देशित किया है कि वे ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ (RPwD Act, 2016) का पूर्ण पालन करें। इसमें स्टॉक ब्रोकर्स, म्यूचुअल फंड, केवाईसी पंजीकरण एजेंसियां (KRAs), और अन्य मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थान शामिल हैं।

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को निम्नलिखित वैश्विक और भारतीय मानकों के अनुसार डिज़ाइन किया जाना अनिवार्य होगा:

  • WCAG 2.1 (वेब सामग्री सुलभता दिशानिर्देश)

  • GIGW (भारतीय सरकारी वेबसाइटों के लिए दिशानिर्देश)

  • IS 17802 (ICT उत्पादों के लिए भारतीय मानक)

इसके अतिरिक्त, इन प्लेटफॉर्म्स पर विशेष सुविधाएं भी जोड़ी जाएंगी जैसे:

  • भारतीय सांकेतिक भाषा (ISL) में वीडियो

  • उपशीर्षक (कैप्शन)

  • डिस्क्रिप्टिव ऑडियो (वर्णनात्मक ध्वनि)

  • वैकल्पिक टेक्स्ट के साथ चित्र

  • एक्सेसिबल PDF दस्तावेज़

KYC प्रक्रिया के लिए ऐसे वीडियो में ISL और उपशीर्षक अनिवार्य होंगे ताकि श्रवण या दृष्टिबाधित निवेशक भी बिना बाधा सेवाओं का लाभ ले सकें। वीडियो कॉल के माध्यम से ह्यूमन असिस्टेंस और वॉयस सपोर्ट भी विकल्पों में शामिल होंगे।

कड़ाई से तय की गई समयसीमा

SEBI ने इन निर्देशों को लागू करने के लिए स्पष्ट समय-सीमा निर्धारित की है:

  • 1 महीने के भीतर: सभी संस्थाएं अपने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की सूची और एक प्रारंभिक अनुपालन रिपोर्ट SEBI को सौंपेंगी।

  • 45 दिनों के भीतर: प्रमाणित एक्सेसिबिलिटी ऑडिटर की नियुक्ति करेंगी।

  • 3 महीनों के भीतर: एक व्यापक एक्सेसिबिलिटी ऑडिट कराना अनिवार्य होगा।

  • 6 महीनों के भीतर: ऑडिट में पाई गई खामियों को दूर करना अनिवार्य होगा।

इसके अलावा, हर संस्था को वार्षिक ऑडिट करना होगा और उसकी प्रगति रिपोर्ट नियमित रूप से SEBI को सौंपनी होगी।

जवाबदेही और शिकायत निवारण व्यवस्था

SEBI ने निर्देशित किया है कि हर संस्था डिजिटल एक्सेसिबिलिटी के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त करे। यदि किसी निवेशक को किसी सुविधा तक पहुंच में समस्या आती है तो उसके लिए एक स्पष्ट शिकायत निवारण प्रणाली होनी चाहिए जिसमें एस्केलेशन की प्रक्रिया भी शामिल हो।

SEBI ने यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में जो भी नई वेबसाइट, मोबाइल ऐप या सॉफ़्टवेयर विकसित किए जाएंगे या खरीदे जाएंगे, वे इन एक्सेसिबिलिटी मानकों का पालन अवश्य करें।

समावेशी वित्त का नया अध्याय

SEBI का यह निर्णय डिजिटल समावेशन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर माना जा रहा है। यह न केवल दिव्यांगजनों के लिए वित्तीय स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त करता है, बल्कि भारतीय प्रतिभूति बाजार को अधिक न्यायपूर्ण, समावेशी और मानव-केंद्रित बनाता है।


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By MFNews