म्यूचुअल फंड निवेश में एआई सहायक, लेकिन निर्णायक नहीं: विशेषज्ञों की राय

Rising SIP Inflows in India: HSBC Mutual Fund CEO Predicts Continued Growth Driven by Retail Participation

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New Delhi नई दिल्ली:  आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस  (AI) और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल अब भारत में म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री में तेजी से बढ़ रहा है, खासतौर पर डेटा विश्लेषण और रिसर्च के क्षेत्र में। हालांकि, प्रमुख विशेषज्ञों का मानना है कि AI फंड मैनेजरों की जगह नहीं ले सकता, क्योंकि निवेश से जुड़ा निर्णय प्रक्रिया अभी भी मानवीय विवेक और अनुभव पर आधारित है।

इस विषय पर चर्चा करते हुए Dhirendra Kumar, CEO, Value Research ने स्पष्ट रूप से कहा, “AI और मशीन लर्निंग तेजी से ट्रेंड और संकेतों की पहचान कर सकते हैं, लेकिन निवेश के फैसले अभी भी इंसानों द्वारा ही लिए जाते हैं।”


🤖 AI: सहायक, लेकिन निर्णय नहीं ले सकता

दीपक शिनॉय Deepak Shenoy, संस्थापक, कैपिटलमाइंड Capitalmind, का मानना है कि म्यूचुअल फंड प्रबंधन पूरी तरह से मानव जिम्मेदारी है और इसे किसी भी अल्गोरिद्म या तकनीक को सौंपना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, “आप अपने निर्णय लेने के अधिकार को किसी AI, अल्गोरिद्म या किसी अन्य प्रणाली को नहीं सौंप सकते। अंततः, जिम्मेदारी एक इंसान यानी फंड मैनेजर की ही होती है।”

शेनॉय ने AI की तुलना एक 24×7 रिसर्च असिस्टेंट से की। उनके अनुसार, “AI रात 11 बजे भी आपकी मदद कर सकता है जब आप कोई रिसर्च करना चाहते हैं। यह पारंपरिक सर्च इंजन की तुलना में अधिक तेजी से जानकारी दे सकता है और बड़े डेटा सेट्स का विश्लेषण करने में सक्षम है।”

हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि AI को ग्राहक से संवाद या निवेश निर्णय जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए। “पोर्टफोलियो वैल्यू बताना जैसी सामान्य चीजें छोड़ दें, तो मैं AI को ग्राहक से सीधे संवाद करने की अनुमति नहीं दूंगा।”


📈 निवेश में AI की भूमिका: बढ़ती लेकिन सीमित

धीरेंद्र कुमार का मानना है कि आने वाले समय में निवेश की दुनिया में AI की भूमिका और अधिक बढ़ेगी, लेकिन इसकी सीमाएं भी हैं। उन्होंने कहा, “AI का उपयोग बढ़ेगा, इसमें कोई दो राय नहीं। लेकिन मौजूदा रूप में यह न तो आपके स्टॉक पोर्टफोलियो का प्रबंधन कर सकता है, न ही म्यूचुअल फंड की सही सलाह दे सकता है।”

उनका मानना है कि सफल निवेशक AI को एक उपकरण के रूप में प्रयोग करते हैं, लेकिन अंतिम निर्णय हमेशा मानव विवेक और अनुभव पर आधारित होता है। उन्होंने कहा, “AI मानव अनुशासन या निर्णय की जगह नहीं ले सकता। इसका उपयोग निर्णय को बेहतर बनाने के लिए होना चाहिए, न कि उसे बदलने के लिए।”


📊 इंसान बनाम मशीन: कौन बेहतर?

AI और इंसानों की तुलना करते हुए विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि निवेश केवल डेटा एनालिसिस तक सीमित नहीं है। इसमें भावनात्मक समझ, अनुभव, जोखिम प्रबंधन, और बाजार की मानसिकता को पढ़ने की क्षमता भी जरूरी होती है। ये सभी चीजें अभी तक किसी AI या मशीन में नहीं हैं।

AI भले ही ट्रेंड को समझ ले, लेकिन वह कभी यह नहीं समझ सकता कि एक निवेशक किन भावनात्मक स्थितियों में निवेश कर रहा है, या बाजार में किसी राजनीतिक घटना का क्या प्रभाव हो सकता है।


🧠 AI के इस्तेमाल के मौजूदा क्षेत्र

  • डेटा एनालिसिस और रिसर्च: AI बड़ी मात्रा में डेटा को जल्दी प्रोसेस कर सकता है।

  • बैक ऑफिस ऑटोमेशन: रिपोर्ट जनरेशन, अलर्ट सिस्टम, ग्राहक को NAV जैसी जानकारी देना।

  • फ्रॉड डिटेक्शन और पैटर्न रिकग्निशन: संदिग्ध लेनदेन की पहचान करना।

लेकिन जहां बात आती है पोर्टफोलियो का पुनःसंतुलन (rebalancing), एसेट एलोकेशन या रिस्क-मैनेजमेंट की—वहां अभी भी इंसान का अनुभव और समझ सबसे ऊपर है।


🧾 निष्कर्ष

AI एक शानदार उपकरण है जो निवेशकों और फंड मैनेजर्स की मदद कर सकता है, लेकिन यह स्वतंत्र निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। विशेषज्ञों की राय स्पष्ट है कि तकनीक इंसानों की सहायता कर सकती है, लेकिन उसे बदल नहीं सकती।

भविष्य में संभव है कि AI और अधिक उन्नत हो जाए, लेकिन निवेश जैसे भावनात्मक, जिम्मेदार और दीर्घकालिक फैसलों के लिए मानव समझ अभी भी अपरिहार्य बनी हुई है।


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By MFNews