आईपीओ का PE फर्मों के लिए ‘निकास मार्ग’ बनना चिंता का विषय नहीं, ‘निवेशक शुरुआती जोखिम लेते हैं’: सेबी चीफ

SEBI Chief Defends PE Exits via IPOs, Emphasizes Investor Choice

सेबी SEBI नए सुधारों पर कर रहा है काम, निवेशकों के लिए लाएगा ‘संक्षिप्त सारांश’ ताकि जानकारी समझना हो आसान

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नई दिल्ली: भारतीय पूँजी बाज़ार के नियामक, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के अध्यक्ष, तुहिन कांता पांडेय, ने आरंभिक सार्वजनिक पेशकशों (IPO) के माध्यम से प्राइवेट इक्विटी (PE) फर्मों द्वारा अपने निवेश से आंशिक या पूर्ण रूप से बाहर निकलने (एग्जिट) पर किसी भी तरह की चिंता व्यक्त करने से इनकार कर दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक साक्षात्कार में, पांडेय ने स्पष्ट किया कि नई-युग की कंपनियों में शुरुआती चरण का जोखिम ‘उच्च’ होता है, और यह आवश्यक नहीं है कि हर निवेश उच्च प्रतिफल (हाई रिटर्न) ही प्रदान करे।

पांडेय ने तर्क दिया कि कुछ निवेशों में होने वाला लाभ, अन्य में हुए नुकसान की भरपाई कर देता है। उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि व्यापक प्राथमिक बाज़ार के उद्देश्य और PE फर्मों के IPO के माध्यम से बाहर निकलने के बीच कोई ‘विरोधभास’ (contradiction) नहीं है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल के कुछ हाई-प्रोफाइल IPO के बाद PE फर्मों के एग्जिट की भूमिका पर बाज़ार विशेषज्ञ और निवेशक वर्ग सवाल उठा रहे हैं।

हाई वैल्यूएशन और SEBI की भूमिका

SEBI प्रमुख ने स्वीकार किया कि नियामक कुछ नई-युग की कंपनियों के उच्च मूल्यांकनों (high valuations) के बारे में जानता है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि यह निवेशकों का अधिकार है कि वे किसी भी IPO को अस्वीकार करें, उसकी आलोचना करें या उसमें भाग न लें। उनका कहना था कि बाज़ार में पारदर्शिता बनी रहनी चाहिए और निवेशकों के पास सभी आवश्यक जानकारी होनी चाहिए।

पांडेय ने स्पष्ट किया कि नियामक का प्राथमिक कार्य यह सुनिश्चित करना है कि IPO और संबंधित कंपनी के बारे में सभी प्रमुख जानकारी निवेशकों के लिए आसानी से समझ में आने वाले (easily comprehensible) तरीके से उपलब्ध हो, ताकि वे सोच-समझकर निर्णय ले सकें। उनका मानना है कि जब तक सभी तथ्य सामने हैं, निवेशक अपने जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर स्वतंत्र रूप से फैसला लेने के लिए सशक्त हैं।

‘संक्षिप्त सारांश’ के साथ SEBI के नए सुधार

निवेशकों के लिए जानकारी को और अधिक सुलभ बनाने की दिशा में SEBI सक्रिय रूप से काम कर रहा है। पांडेय ने बताया कि नियामक नए सुधारों पर काम कर रहा है, जिसके तहत सभी आवश्यक सूचनाओं का एक ‘संक्षिप्त सारांश’ (concise summary) पेश किया जाएगा। इस कदम का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के लिए जटिल दस्तावेजों और सूचनाओं को ‘आसान समझ’ (easier comprehension) के लिए संक्षिप्त और स्पष्ट रूप में प्रस्तुत करना है। यह सुधार विशेष रूप से खुदरा निवेशकों (retail investors) के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, जो अक्सर विस्तृत और तकनीकी प्रॉस्पेक्टस को पूरी तरह से समझ नहीं पाते हैं।

खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी

बाज़ार में चल रही चुनौतियों के बावजूद, SEBI प्रमुख ने भारत के पूँजी बाज़ार की मज़बूती पर विश्वास जताया। उन्होंने एक रोचक आँकड़ा साझा किया कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) द्वारा बाज़ार से निकासी के बावजूद भी, भारत में प्रतिदिन 100,000 नए डीमैट खाते खोले जा रहे हैं। यह आँकड़ा भारतीय पूँजी बाज़ार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और भरोसे को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि बाज़ार की अस्थिरता के बावजूद, घरेलू निवेशक लंबी अवधि के विकास की संभावनाओं को देखते हुए बाज़ार में प्रवेश कर रहे हैं।

मुख्य आर्थिक सलाहकार की चेतावनी

SEBI प्रमुख का यह बयान भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA), वी. अनंत नागेश्वरन, द्वारा 17 नवंबर को दी गई चेतावनी के कुछ ही दिनों बाद आया है। नागेश्वरन ने बाज़ार पूंजीकरण अनुपात (market capitalisation ratios) और डेरिवेटिव्स के व्यापार की मात्रा जैसे ‘गलत मील के पत्थरों’ का जश्न मनाने के खिलाफ आगाह किया था।

इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि नागेश्वरन ने कहा था कि निवेशकों द्वारा IPO का उपयोग तेजी से ‘निकास वाहन’ (exit vehicles) के रूप में किया जाना ‘सार्वजनिक बाज़ारों की भावना (spirit of public markets)’ को कमजोर करता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार की टिप्पणी ने इस बहस को जन्म दिया था कि क्या सार्वजनिक बाज़ार केवल शुरुआती निवेशकों (जैसे PE फर्मों) को मुनाफा कमाने का मंच प्रदान कर रहे हैं, या क्या वे दीर्घकालिक विकास और खुदरा निवेशकों के लिए मूल्य सृजन के अपने मूल उद्देश्य को पूरा कर रहे हैं।

तुहिन कांता पांडेय का रुख इस बात पर ज़ोर देता है कि बाज़ार के जोखिम-प्रतिफल संतुलन को समझना महत्वपूर्ण है, और नियामक का काम पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, न कि बाज़ार के स्वाभाविक उतार-चढ़ाव या व्यावसायिक रणनीतियों को नियंत्रित करना। उनका मानना है कि चूंकि PE फर्म शुरुआती, उच्च-जोखिम वाले चरण में पूंजी लगाती हैं, इसलिए उनके लिए लाभ कमाकर बाहर निकलना बाज़ार की कार्यप्रणाली का एक सामान्य हिस्सा है।

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By MFNews

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