डेट फंड्स से सितंबर में ₹1 लाख करोड़ से ज़्यादा निकले: घबराने की बात नहीं, ये है पूरा मामला!

Debt funds saw over ₹1 lakh crore outflows in September: No need to panic, here's the full story!

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चंडीगढ़: सितंबर महीने में डेट फंड्स (यानी वो फंड्स जो बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटीज़ जैसे कर्ज़ वाले इंस्ट्रूमेंट्स में पैसा लगाते हैं) से लोगों ने ₹1.02 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा निकाल लिए हैं. अगस्त में यह आंकड़ा सिर्फ़ ₹7,980 करोड़ था, तो यह एक बड़ी गिरावट लगती है.

तो क्या हुआ?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके पीछे मुख्य कारण बड़े निवेशकों (जैसे कंपनियाँ और संस्थाएँ) का तिमाही के अंत में पैसा निकालना और एडवांस टैक्स जमा करने की ज़रूरत है. आसान शब्दों में कहें तो, बड़ी कंपनियाँ और संस्थाएँ तिमाही के आखिर में अपने हिसाब-किताब के लिए और टैक्स भरने के लिए अक्सर अपना पैसा निकाल लेती हैं.

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Debt funds saw over ₹1 lakh crore outflows in September: No need to panic, here’s the full story!

किन फंड्स पर ज़्यादा असर पड़ा?

  • लिक्विड फंड्स: इनसे सबसे ज़्यादा ₹66,042 करोड़ निकाले गए. ये वो फंड्स होते हैं जहाँ लोग अपना पैसा बहुत कम समय के लिए रखते हैं, अक्सर जब उन्हें जल्द ही पैसों की ज़रूरत होती है.
  • मनी मार्केट फंड्स: इनसे भी ₹17,900 करोड़ निकले. ये भी कम अवधि के लिए होते हैं.

कुछ फंड्स में पैसा आया भी!

  • ओवरनाइट फंड्स: इनमें ₹4,279 करोड़ आए. ये फंड्स सबसे कम समय (एक दिन) के लिए पैसा रखते हैं, जो दिखाता है कि लोग शायद बहुत छोटे समय के लिए सुरक्षित जगह पैसा पार्क कर रहे थे.

क्यों हुआ ऐसा?

Shriram Wealth के COO और प्रोडक्ट हेड, नवल काग़ज़वाला का कहना है कि हाल की ब्याज दरों में कटौती और रिटर्न की कम उम्मीदों के कारण कॉर्पोरेट बॉन्ड, PSU डेट, फ्लोटर, गिल्ट और शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड्स जैसी ज़्यादातर डेट कैटेगरीज़ से पैसा निकला है. निवेशक अपने पोर्टफ़ोलियो को बदल रहे हैं, और गोल्ड व दूसरे ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स) में ज़्यादा पैसा लगा रहे हैं.

इसका क्या मतलब है आपके लिए?

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के सीनियर एनालिस्ट, नेहा मेषराम के अनुसार, सितंबर में डेट फंड्स से पैसा निकलना एक अस्थायी बदलाव है जो लिक्विडिटी (तरलता) की ज़रूरतों के कारण हुआ है, न कि कोई बड़ा संरचनात्मक बदलाव. इसका मतलब है कि यह घबराने वाली बात नहीं है कि डेट फंड्स हमेशा के लिए बुरे हो गए हैं. यह सिर्फ़ एक खास समय पर बड़े निवेशकों की ज़रूरतों के कारण हुआ है.

जब बाज़ार में तरलता की स्थिति सामान्य हो जाएगी, तो निवेशक अभी भी अच्छी क्वालिटी और कम अवधि वाले डेट फंड्स में निवेश करना पसंद करेंगे. लंबे समय वाले डेट फंड्स में निवेश ब्याज दरों की भविष्य की स्थिति पर निर्भर करेगा.

अगर आप एक आम निवेशक हैं, तो इस खबर से आपको बहुत ज़्यादा चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. यह ज़्यादातर संस्थागत निवेशकों के तिमाही अंत के समायोजन और टैक्स से संबंधित ज़रूरतों के कारण हुआ है. अच्छे और कम अवधि वाले डेट फंड्स अभी भी आपके पोर्टफोलियो का हिस्सा हो सकते हैं, खासकर अगर आप स्थिरता चाहते हैं.

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By MFNews