एचडीएफसी बैंक HDFC Bank ने MCLR दरों में 5 बेसिस प्वाइंट की कटौती, लोन धारकों को मिलेगी EMI में राहत

HDFC Bank MCLR cut: Relief for borrowers, know the impact

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चंडीगढ़ Chandigarh :HDFC Bank ने अपने ग्राहकों को एक और राहत दी है। बैंक ने हाल ही में अपने Marginal Cost of Funds-based Lending Rates (MCLR) में 5 बेसिस प्वाइंट (0.05%) की कटौती की है। यह संशोधित दरें 7 सितंबर 2025 से लागू हो गई हैं और इसका सीधा फायदा उन ग्राहकों को मिलेगा जिनके लोन MCLR से जुड़े हैं। इस कदम से होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई में हल्की कमी देखने को मिलेगी।


MCLR क्या है और क्यों अहम है?

MCLR यानी Marginal Cost of Funds-based Lending Rate, बैंक का आंतरिक बेंचमार्क है। इसके आधार पर बैंक अलग-अलग अवधि (tenure) के लिए लोन की ब्याज दरें तय करता है। इस दर को कई कारकों से प्रभावित किया जाता है, जैसे:

  • बैंक के फंड जुटाने की लागत (Cost of Funds)

  • ऑपरेटिंग खर्चे

  • लोन की अवधि (Tenure)

यही वजह है कि अलग-अलग समयावधि के लोन पर MCLR दरें अलग-अलग रहती हैं।


किसे होगा फायदा?

इस कटौती से सीधे उन ग्राहकों को लाभ मिलेगा जिनके लोन MCLR से लिंक्ड हैं

  • होम लोन ग्राहक – सबसे ज्यादा फायदा इन्हें होगा, क्योंकि अधिकांश होम लोन 1 वर्ष के MCLR पर आधारित होते हैं। अब यह दर 8.70% से घटकर 8.65% हो गई है।

  • कार और पर्सनल लोन ग्राहक – जिनके लोन 6 महीने या 2 साल के MCLR पर आधारित हैं, उन्हें भी थोड़ी राहत मिलेगी।

  • बाहरी बेंचमार्क से जुड़े लोन (जैसे RBI रेपो रेट) वाले ग्राहकों पर इसका कोई असर नहीं होगा।


MCLR में संशोधन के बाद नई दरें

नए बदलावों के बाद HDFC Bank की संशोधित MCLR दरें इस प्रकार हैं:

Tenor Revised MCLR
Overnight 8.55%
1 Month 8.55%
3 Month 8.60%
6 Month 8.65%
1 Year 8.65%
2 Year 8.70%
3 Year 8.75%

EMI पर असर

0.05% की यह कटौती सुनने में भले ही मामूली लगे, लेकिन लंबे समय और बड़ी राशि वाले लोन पर इसका असर साफ दिखेगा। उदाहरण के लिए:

मान लीजिए किसी ग्राहक ने 30 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिए लिया है।

  • यदि ब्याज दर 8.70% है तो ईएमआई लगभग ₹26,400 बनती है।

  • वही दर 8.65% होने पर ईएमआई लगभग ₹26,300 के आसपास आ जाती है।

इस तरह प्रति माह ₹100-150 और सालाना लगभग ₹1,200-1,500 की बचत होगी। हालांकि रकम ज्यादा नहीं है, लेकिन लंबी अवधि में कुल बचत कई हजार रुपये तक पहुंच सकती है।


ग्राहकों को क्या करना चाहिए?

  • ग्राहकों को कोई औपचारिक कदम उठाने की जरूरत नहीं है

  • यह बदलाव अपने आप लागू हो जाएगा, लेकिन केवल आपकी रीसेट डेट पर। रीसेट डेट वह समय है जब आपका लोन ब्याज दर फिर से तय होता है।

  • अपने लोन एग्रीमेंट में रीसेट पीरियड लिखी होती है (आमतौर पर 6 महीने या 1 साल)।


यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?

भारतीय बैंकिंग सेक्टर में ब्याज दरों का उतार-चढ़ाव हमेशा से ग्राहकों और बाजार दोनों के लिए बड़ा संकेत होता है।

  • इससे यह पता चलता है कि बैंकों की फंडिंग लागत (Cost of Funds) घट रही है।

  • ग्राहकों को भरोसा मिलता है कि उनकी ईएमआई स्थिर नहीं रहती बल्कि आर्थिक परिस्थितियों के हिसाब से बदलती है।

  • अल्पकालिक राहत के साथ-साथ यह कदम कर्ज लेने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है, जो आर्थिक गतिविधियों को तेज करता है।


आगे क्या उम्मीद?

अगर आने वाले समय में आरबीआई रेपो रेट में बदलाव करती है या बैंकों की फंडिंग लागत और घटती है, तो MCLR दरों में और कमी हो सकती है। इससे ग्राहकों को अतिरिक्त राहत मिलेगी।


निष्कर्ष

HDFC Bank का यह कदम यकीनन लोन धारकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। हालांकि बचत मामूली दिख सकती है, लेकिन बड़ी राशि और लंबी अवधि वाले लोन के हिसाब से यह काम की है। त्योहारी सीजन में जब ज्यादातर ग्राहक नए लोन लेने का मन बनाते हैं, तब यह दरकटौती उनके फैसले को और आसान बना सकती है।


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By MFNews