सेबी ने जारी किए नए नियम: KRA पंजीकरण सरेंडर पर अब निवेशकों के रिकॉर्ड रहेंगे सुरक्षित

SEBI issued new rules: Now investors' records will be safe on surrender of KRA registration

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मुंबई Mumbai: भारतीय पूंजी बाजार नियामक सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने शुक्रवार, 5 सितंबर 2025 को एक अहम सर्कुलर जारी किया है। इस सर्कुलर के तहत “नो योर क्लाइंट (KYC) रजिस्ट्रेशन एजेंसियों” यानी KRAs के पंजीकरण सरेंडर करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए नया ढांचा तैयार किया गया है। इन नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जब कोई एजेंसी व्यवसायिक कारणों से स्वेच्छा से या किसी आर्थिक/नियामकीय संकट के कारण अनैच्छिक रूप से अपना रजिस्ट्रेशन छोड़ रही हो, तो निवेशकों के रिकॉर्ड और सेवाएं प्रभावित न हों।

निवेशकों के हित सुरक्षित करने की दिशा में बड़ा कदम

सेबी ने कहा कि यह बेहद जरूरी है कि KRA द्वारा संचालित महत्वपूर्ण कार्य और सेवाओं का क्रमबद्ध तरीके से समापन हो ताकि निवेशकों को बार-बार अपनी केवाईसी कराने की जरूरत न पड़े और उनकी व्यक्तिगत व वित्तीय जानकारी पूरी तरह सुरक्षित रहे।

नए सिस्टम के अनुसार, यदि कोई KRA रजिस्ट्रेशन सरेंडर करता है तो उसे अपने पास रखे गए सभी केवाईसी रिकॉर्ड, किए गए संशोधन और उनसे जुड़ी ऑडिट ट्रेल्स को किसी अन्य सेबी-पंजीकृत KRA को सौंपना अनिवार्य होगा। इस व्यवस्था से निवेशकों की सेवाओं में कोई बाधा नहीं आएगी और उन्हें दोबारा से प्रक्रियाओं से नहीं गुजरना पड़ेगा।

इंटरऑपरेबिलिटी और डेटा की पोर्टेबिलिटी

सेबी ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी KRAs को निवेशकों के रिकॉर्ड को इंटरऑपरेबल (एक-दूसरे से जुड़ा हुआ और स्थानांतरित करने योग्य) बनाना होगा। यानी जिस भी एजेंसी से निवेशक ने केवाईसी कराया हो, उसका रिकॉर्ड किसी अन्य KRA में भी बिना किसी दिक्कत के उपलब्ध रहना चाहिए।

SOP अनिवार्य किया गया

हर KRA को अपने बोर्ड से मंजूर स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार करना होगा। इस SOP में यह साफ-साफ बताया जाना चाहिए कि एजेंसी का विंड-डाउन यानी समापन कैसे होगा, डेटा और दस्तावेज़ों का ट्रांसफर कैसे किया जाएगा, किन शर्तों के तहत अनुबंधित दायित्वों का निपटान होगा और किस तरह निवेशकों की निजी जानकारी का संरक्षण किया जाएगा।

ओवरसाइट कमिटी का गठन

नए नियमों में एक और महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़ा गया है। अब, जो KRA अपना रजिस्ट्रेशन सरेंडर करेगा, उसे एक ओवरसाइट कमिटी (Oversight Committee) गठित करनी होगी। यह समिति पूरे विंड-डाउन प्रोसेस की निगरानी करेगी। इसके अंतर्गत KYC डेटा का हस्तांतरण, सिस्टम का बंद होना और निवेशक सेवाओं की निरंतरता जैसे पहलुओं पर ध्यान दिया जाएगा।

तय की गई समयसीमा

सेबी ने इस प्रक्रिया के लिए स्पष्ट समयसीमा भी लागू की है, ताकि एजेंसियां मनमाने ढंग से देरी न कर सकें।

  • 7 दिन के भीतर: KRA को अपना बोर्ड-स्वीकृत सरेंडर प्रस्ताव सेबी को सूचित करना होगा।

  • 14 दिन के भीतर: एजेंसी को अपने सभी हितधारकों को इस निर्णय से अवगत कराना होगा।

  • 60 दिन के भीतर: डेटा माइग्रेशन और सिस्टम डीएक्टिवेशन पूरा करना होगा।

  • 75 दिन के भीतर: लेखा-परीक्षण (ऑडिट) और समापन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी।

  • 90 दिन के भीतर: एजेंसी को सेबी को एक अनुपालन रिपोर्ट सौंपनी होगी, जिसमें यह प्रमाणित किया जाएगा कि सभी रिकॉर्ड का ट्रांसफर सफलतापूर्वक हो चुका है।

इसके अलावा, सेबी ने निर्देश दिया है कि एजेंसियों को निवेशक सहायता डेस्क (Investor Support Desk) को रजिस्ट्रेशन सरेंडर के अनुमोदन के बाद कम से कम 12 महीने तक चालू रखना होगा।

स्वैच्छिक और अनैच्छिक निकासी में अंतर

  • स्वैच्छिक निकासी (Voluntary Exit): यदि कोई KRA बिजनेस के कारण स्वयं ऑपरेशन बंद कर रहा है, तो उसे समय से पहले सार्वजनिक नोटिस जारी करने, सभी हितधारकों को सूचित करने और मध्यस्थों (Intermediaries) को पर्याप्त समय देने की जिम्मेदारी होगी, ताकि वे अपने सिस्टम में बदलाव कर सकें।

  • अनैच्छिक निकासी (Involuntary Exit): यदि किसी KRA के ऊपर वित्तीय संकट, धोखाधड़ी या सेबी के दंडात्मक आदेश के कारण निकासी लागू होती है, तो ऐसे हालात में सेबी विशेष अधिकारों का इस्तेमाल कर सकती है। नियामक चाहे तो समयसीमा बढ़ा-घटा सकता है, किसी नए अधिग्रहण करने वाले KRA को नामित कर सकता है, या अस्थायी प्रशासक नियुक्त कर सकता है।

अनुपालन की अनिवार्यता

पूरे विंड-डाउन प्रोसेस के दौरान KRAs को सेबी के सभी नियमों का पालन करना होगा। साथ ही, उन्हें मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम (PMLA) अधिनियम और अन्य लागू कानूनों के अनुरूप भी काम करना होगा।

सेबी का संदेश

इन सख्त दिशानिर्देशों से यह साफ है कि सेबी निवेशकों के डेटा को लेकर किसी भी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। भारत में निवेशक सुरक्षा को लेकर पिछले कुछ समय में कई बड़े सुधार कदम उठाए गए हैं। इनमें डेटा सुरक्षा, केवाईसी प्रक्रिया को डिजिटल और सरल बनाने तथा ट्रांसपरेंसी को बढ़ावा देने जैसे प्रयास शामिल हैं। नए नियम यह सुनिश्चित करेंगे कि KRA का संचालन चाहे किसी भी कारण से बंद हो, निवेशकों की पहचान और रिकॉर्ड हमेशा सुरक्षित और उपलब्ध रहे।

यह कदम न केवल निवेशकों की सुविधा बढ़ाएगा बल्कि बाजार में विश्वास (trust factor) को भी मजबूत करेगा। चूंकि KRA निवेश प्रक्रिया का अहम हिस्सा हैं, इसलिए उनका नियमित और पारदर्शी संचालन पूंजी बाजार की स्थिरता और मजबूती के लिए बेहद जरूरी है।


सेबी के नए नियम KRAs के लिए एक स्पष्ट संदेश हैं कि अब वे बिना सुव्यवस्थित प्रक्रिया के अपने ऑपरेशन बंद नहीं कर पाएंगे। यह ढांचा भारत के पूंजी बाजार में निवेशकों की सुरक्षा और डेटा संरक्षण की दिशा में एक और मजबूत कड़ी साबित होगा।


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By MFNews