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मुंबई Mumbai: भारतीय पूंजी बाजार में एसएमई (Small and Medium Enterprises) सेगमेंट लगातार निवेशकों का ध्यान खींच रहा है। इसी कड़ी में ओवल प्रोजेक्ट्स इंजीनियरिंग लिमिटेड (Oval Projects Engineering Ltd) ने अपना बहुप्रतीक्षित आईपीओ 28 अगस्त 2025 को लॉन्च किया। यह इश्यू 1 सितंबर 2025 को बंद हो रहा है और इसकी लिस्टिंग 4 सितंबर 2025 को बीएसई पर होगी।
कंपनी का यह आईपीओ निवेशकों के बीच चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि इसका आकार अपेक्षाकृत बड़ा है और यह बुक बिल्डिंग पद्धति के तहत लाया गया है, जो आमतौर पर बड़े और प्रतिष्ठित इश्यूज़ के लिए उपयोग होती है।
आईपीओ की प्रमुख जानकारियाँ
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आईपीओ खुलने की तारीख: 28 अगस्त 2025
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आईपीओ बंद होने की तारीख: 1 सितंबर 2025
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लिस्टिंग डेट: 4 सितंबर 2025
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लिस्टिंग एक्सचेंज: बीएसई (BSE)
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इश्यू टाइप: पब्लिक इश्यू (बुक बिल्डिंग)
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कुल इश्यू साइज: ₹46.74 करोड़
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जारी किए जाने वाले नए शेयर: 54.99 लाख इक्विटी शेयर
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प्रति शेयर मूल्य (प्राइस बैंड): ₹80 – ₹85
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फेस वैल्यू: ₹10 प्रति शेयर
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लॉट साइज: 1,600 शेयर
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न्यूनतम निवेश राशि: ₹1,36,000
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रिटेल निवेशक अधिकतम सीमा: 3,200 शेयर या ₹2,72,000 तक
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पब्लिक को ऑफर किए गए शेयर: 21.95 लाख
कंपनी की पृष्ठभूमि
ओवल प्रोजेक्ट्स इंजीनियरिंग लिमिटेड का मुख्य फोकस इंजीनियरिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और औद्योगिक समाधान प्रदान करने पर है। कंपनी इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक प्रोजेक्ट्स में विशेषज्ञता रखती है, जिसमें प्लांट इंजीनियरिंग, मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी आधारित समाधान शामिल हैं।
भारत में तेज़ी से बढ़ते औद्योगिकीकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के चलते इस सेक्टर में बड़ी संभावनाएँ दिखाई दे रही हैं। यही कारण है कि कंपनी का आईपीओ निवेशकों के लिए आकर्षक माना जा रहा है।
आईपीओ का निवेश ढांचा और आरक्षण
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कुल 54.99 लाख शेयरों में से 21.95 लाख शेयर पब्लिक को ऑफर किए गए हैं।
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रिटेल निवेशकों के लिए आवेदन सीमा तय की गई है, जिसमें न्यूनतम लॉट साइज 1,600 शेयर है।
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अधिकतम निवेश सीमा 3,200 शेयर यानी ₹2.72 लाख तक है।
यह ढांचा साफ करता है कि कंपनी ने संस्थागत और खुदरा दोनों श्रेणियों के निवेशकों के बीच संतुलन बनाने का प्रयास किया है।
आईपीओ से जुटाई गई राशि का उपयोग
कंपनी इस पब्लिक इश्यू से जुटाई गई लगभग ₹46.74 करोड़ की राशि का उपयोग निम्नलिखित कार्यों में करेगी:
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कार्यशील पूंजी की जरूरतें पूरी करने के लिए।
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नए प्रोजेक्ट्स और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन में निवेश के लिए।
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सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए।
वित्तीय स्थिति और संभावनाएँ
पिछले कुछ वर्षों में कंपनी ने अपने राजस्व और लाभ में स्थिर वृद्धि दर्ज की है।
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कंपनी का बिजनेस मॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास से जुड़ा हुआ है, जहाँ सरकार और प्राइवेट सेक्टर दोनों ही निवेश बढ़ा रहे हैं।
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इससे आने वाले वर्षों में ऑर्डर बुक मजबूत रहने की संभावना है।
हालांकि, इंजीनियरिंग और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सेक्टर वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, कच्चे माल की लागत और प्रतिस्पर्धा से प्रभावित हो सकता है।
बाजार विशेषज्ञों की राय
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कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह आईपीओ उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है जो मध्यम से लंबी अवधि के नजरिये से निवेश करना चाहते हैं।
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बुक बिल्डिंग पद्धति से लाया गया यह इश्यू पारदर्शिता और निवेशकों के भरोसे को मजबूत करता है।
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हालांकि, न्यूनतम निवेश राशि अधिक होने के कारण छोटे निवेशकों की पहुँच थोड़ी सीमित हो सकती है।
निवेशकों के लिए फायदे और जोखिम
फायदे:
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इंफ्रास्ट्रक्चर और औद्योगिक विकास से जुड़े बड़े अवसर।
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कंपनी के पास प्रोजेक्ट मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग में मजबूत विशेषज्ञता।
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बुक बिल्डिंग प्राइसिंग से निवेशकों को बेहतर पारदर्शिता।
जोखिम:
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एसएमई सेगमेंट की लिक्विडिटी अपेक्षाकृत कम होती है।
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न्यूनतम निवेश राशि ₹1.36 लाख होने से छोटे निवेशक बाहर रह सकते हैं।
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कच्चे माल की कीमतों और आर्थिक मंदी का असर।
निष्कर्ष
ओवल प्रोजेक्ट्स इंजीनियरिंग लिमिटेड का एसएमई आईपीओ उन निवेशकों के लिए अवसर लेकर आया है, जो इंजीनियरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भरोसा रखते हैं। कंपनी की विस्तार योजनाएँ, स्थिर वित्तीय प्रदर्शन और बुक बिल्डिंग पद्धति इसे एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं। हालांकि, एसएमई सेगमेंट की चुनौतियाँ और ऊँची न्यूनतम निवेश राशि निवेशकों के लिए सोच-समझकर निर्णय लेने की आवश्यकता दर्शाती हैं।
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