वेदांता डिमर्जर पर सरकार की आपत्ति और सेबी की चेतावनी के बाद शेयरों में गिरावट

Vedanta Resources Achieves Single-Digit Cost of Debt and Extends Average Maturity Beyond Four Years
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मुंबई: वेदांता लिमिटेड के शेयरों में मंगलवार को जोरदार गिरावट दर्ज की गई जब सरकार ने कंपनी की प्रस्तावित डिमर्जर (विभाजन योजना) पर आपत्ति जताई और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने कंपनी को कड़ी चेतावनी जारी की। यह घटनाक्रम निवेशकों में असमंजस और घबराहट पैदा करने वाला साबित हुआ है।

शेयर बाजार में हलचल

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर वेदांता का शेयर 7% की गिरावट के साथ 250 रुपये के स्तर तक फिसल गया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर भी शेयर लगभग इसी दायरे में टूटे। कारोबार के शुरुआती घंटों में भारी बिकवाली देखने को मिली और कंपनी का बाजार पूंजीकरण कुछ ही घंटों में हज़ारों करोड़ रुपये घट गया।

ब्रोकरेज हाउस और विश्लेषकों के मुताबिक, निवेशकों को डर है कि अगर सरकार और रेगुलेटर ने डिमर्जर योजना को रोक दिया तो कंपनी की पुनर्गठन रणनीति विफल हो सकती है, जिसका सीधा असर शेयरहोल्डर्स पर पड़ेगा।

सरकार की आपत्ति क्यों?

वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, सरकार ने वेदांता की डिमर्जर योजना पर कई बिंदुओं पर सवाल उठाए हैं।

  • पहला, इसमें खनन और संसाधन क्षेत्र से जुड़े नियमों का पालन कैसे होगा, यह स्पष्ट नहीं है।

  • दूसरा, प्रस्तावित डिमर्जर के बाद विभिन्न यूनिट्स की वित्तीय पारदर्शिता और कर्ज़ प्रबंधन को लेकर चिंताएं हैं।

  • तीसरा, सरकार को यह भी आशंका है कि इस कदम से छोटे निवेशकों के हित प्रभावित हो सकते हैं।

सरकार ने साफ कर दिया है कि किसी भी डिमर्जर को तभी मंजूरी मिलेगी जब वह सभी कानूनी और नियामकीय दायरे में पूरी तरह फिट बैठे।

सेबी की सख्ती

सरकारी आपत्तियों के बाद, सेबी ने भी वेदांता को नोटिस जारी कर चेतावनी दी है। सेबी ने कहा है कि कंपनी को पूर्ण और पारदर्शी खुलासा (disclosure) करना होगा और निवेशकों को गुमराह करने वाली किसी भी जानकारी से बचना होगा।

सेबी ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि कंपनी ने नियमों का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। इसमें आर्थिक जुर्माना और प्रबंधन पर प्रतिबंध जैसे कदम भी शामिल हो सकते हैं।

निवेशकों की चिंता

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यह घटनाक्रम निवेशकों के भरोसे पर गहरा असर डाल सकता है। वेदांता पहले से ही भारी कर्ज़ के बोझ से दबा हुआ है और डिमर्जर को कर्ज़ घटाने तथा नई पूंजी जुटाने के लिए अहम माना जा रहा था। अब सरकार और सेबी की आपत्तियों के बाद यह योजना अधर में लटकती दिख रही है।

रिटेल निवेशक खास तौर पर असमंजस में हैं। कई निवेशक मानते हैं कि कंपनी को पहले पारदर्शिता और रेगुलेटरी मंजूरी पर ध्यान देना चाहिए, उसके बाद ही बड़े पुनर्गठन की योजना पर आगे बढ़ना चाहिए।

विश्लेषकों की राय

  • कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के मुताबिक, डिमर्जर पर रुकावट आने से कंपनी के वैल्यू अनलॉकिंग की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।

  • जेपी मॉर्गन इंडिया का कहना है कि वेदांता की बैलेंस शीट पहले से दबाव में है और यदि डिमर्जर टलता है तो कंपनी की रेटिंग पर भी असर पड़ सकता है।

  • कुछ विश्लेषक मानते हैं कि सरकार और सेबी की आपत्तियों को दूर कर वेदांता अगर संशोधित योजना पेश करता है तो स्थिति में सुधार आ सकता है।

आगे का रास्ता

वेदांता ने एक बयान जारी कर कहा है कि कंपनी सरकार और सेबी के साथ पूरा सहयोग करेगी और आवश्यक स्पष्टीकरण देने को तैयार है। प्रबंधन का दावा है कि डिमर्जर से कंपनी की सभी यूनिट्स को स्वतंत्र रूप से विकास करने का मौका मिलेगा और निवेशकों को दीर्घकालिक लाभ होगा।

फिलहाल बाजार की नजर सरकार और सेबी के अगले कदम पर टिकी है। आने वाले दिनों में अगर वेदांता को कोई राहत मिलती है तो शेयरों में तेजी लौट सकती है, लेकिन यदि मामला खिंचता है तो निवेशकों की परेशानी और गहरी हो सकती है।

निष्कर्ष

वेदांता का डिमर्जर विवाद केवल कंपनी के लिए ही नहीं, बल्कि समूचे भारतीय कॉर्पोरेट गवर्नेंस मॉडल के लिए भी एक अहम परीक्षा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कंपनी नियामकीय शर्तों को पूरा करते हुए निवेशकों का विश्वास वापस जीत पाती है या नहीं।


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By MFNews