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नई दिल्ली – देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपने मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में 5 बेसिस प्वाइंट (bps) की कमी की घोषणा की है। नई दरें 15 अगस्त 2025 से लागू हो गई हैं।
नई MCLR दरें (15 अगस्त से लागू)
| अवधि | संशोधित MCLR (%) |
|---|---|
| ओवरनाइट | 7.90 |
| 1 महीना | 7.90 |
| 3 महीने | 8.30 |
| 6 महीने | 8.65 |
| 1 साल | 8.75 |
| 2 साल | 8.80 |
| 3 साल | 8.85 |
MCLR क्या है?
MCLR वह न्यूनतम ब्याज दर है, जिस पर कोई बैंक ऋण दे सकता है। इसे भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अप्रैल 2016 में शुरू किया था, ताकि ब्याज दरों में बदलाव जल्दी और पारदर्शी तरीके से ग्राहकों तक पहुंच सके। इससे पहले बैंक बेस रेट प्रणाली पर काम करते थे।
जब RBI अपनी रेपो रेट या अन्य नीतिगत दरों में बदलाव करता है, तो MCLR से जुड़े ऋणों की ब्याज दरें भी प्रभावित होती हैं। इससे ग्राहकों की EMI (Equated Monthly Instalment) बढ़ या घट सकती है।
ग्राहकों पर असर
SBI के इस कदम का सीधा असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा, जिनके ऋण MCLR से जुड़े हुए हैं। जैसे—
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गृह ऋण (Home Loan)
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वाहन ऋण (Car Loan)
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व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan)
यदि आपके ऋण का रीसेट पीरियड अभी आने वाला है, तो ब्याज दर में यह कमी आपके EMI को कम कर सकती है। उदाहरण के लिए, 20 लाख रुपये के गृह ऋण पर 0.05% की कमी से हर महीने कुछ सौ रुपये की बचत हो सकती है।
क्यों की गई कटौती?
विशेषज्ञों का मानना है कि SBI ने यह कटौती संभवतः तरलता की बेहतर उपलब्धता और बाजार में प्रतिस्पर्धा के चलते की है। इसके अलावा, हाल ही में RBI द्वारा ब्याज दरों में स्थिरता बनाए रखने से बैंकों को ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए दरों में थोड़ी नरमी लाने का अवसर मिला है।
अंतिम ब्याज दर कैसे तय होती है?
हालांकि MCLR बैंक द्वारा तय की जाने वाली न्यूनतम दर है, लेकिन अंतिम ब्याज दर तय करते समय बैंक कई अन्य कारकों को भी देखता है, जैसे—
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ग्राहक की आय
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सैलरी स्ट्रक्चर
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CIBIL स्कोर (क्रेडिट स्कोर)
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ऋण राशि और अवधि
इसलिए, अलग-अलग ग्राहकों के लिए ब्याज दर में थोड़ी भिन्नता हो सकती है।
मौजूदा रुझान
पिछले कुछ महीनों में, कई बैंकों ने अपने ऋण उत्पादों की ब्याज दरों में मामूली बदलाव किए हैं। यह बदलाव अर्थव्यवस्था में तरलता और RBI की नीतिगत स्थिति पर निर्भर करते हैं।
SBI का यह कदम संकेत देता है कि आने वाले समय में, यदि बाजार स्थितियां अनुकूल रहीं, तो अन्य बैंक भी इसी तरह की दर कटौती का ऐलान कर सकते हैं।
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि यह कदम गृह ऋण और वाहन ऋण लेने वालों के लिए राहत भरा है। हालांकि, जिनका ऋण फिक्स्ड रेट पर है, उन पर इसका असर नहीं होगा। दूसरी ओर, फ्लोटिंग रेट ऋण वाले ग्राहक अगली रीसेट तिथि पर नई दर का लाभ ले पाएंगे।
निष्कर्ष
SBI की यह MCLR कटौती भले ही छोटी लगे, लेकिन बड़े ऋण और लंबी अवधि के लिए यह उधारकर्ताओं के बजट में उल्लेखनीय अंतर ला सकती है। यह कदम उधारकर्ताओं के लिए अच्छी खबर है, खासकर उन लोगों के लिए जो घर, वाहन या अन्य व्यक्तिगत आवश्यकताओं के लिए बैंक ऋण पर निर्भर हैं।
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