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नई दिल्ली: बीते सप्ताह सोना और चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहा। वैश्विक आर्थिक संकेतकों, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों को लेकर अटकलों, डॉलर के उतार-चढ़ाव और घरेलू मांग जैसे कई कारकों ने कीमती धातुओं के मूल्य को प्रभावित किया। जहां सोने में सीमित बढ़त दर्ज की गई, वहीं चांदी की चाल अपेक्षाकृत अधिक तेज रही। निवेशकों के बीच दोनों धातुओं को लेकर रुचि बनी रही, विशेषकर उन लोगों में जो अस्थिर बाजारों में सुरक्षित निवेश विकल्प की तलाश कर रहे हैं।
सोने का प्रदर्शन: स्थिर लेकिन सतर्क
बीते सप्ताह एमसीएक्स (MCX) पर सोने की कीमतें ₹72,200 प्रति 10 ग्राम के आसपास रही, जो कि पिछले सप्ताह की तुलना में मामूली बढ़त को दर्शाता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना COMEX पर लगभग $2,370 प्रति औंस के स्तर पर कारोबार करता रहा।
इस दौरान सोने को समर्थन देने वाले प्रमुख कारकों में शामिल रहे:
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अमेरिकी डॉलर में कमजोरी: डॉलर इंडेक्स में गिरावट से सोने को समर्थन मिला, क्योंकि इससे गैर-अमेरिकी निवेशकों के लिए सोना सस्ता हो गया।
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फेड नीति पर अनिश्चितता: फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों को स्थिर रखने की संभावना से निवेशकों ने सोने को सुरक्षित आश्रय के रूप में देखा।
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मध्य-पूर्व और एशियाई भू-राजनीतिक तनाव: ऐसे समय में जब वैश्विक स्तर पर तनाव बढ़ रहा है, सोने ने सुरक्षित निवेश का दर्जा बरकरार रखा।
हालांकि, घरेलू बाजार में मांग की रफ्तार में कोई खास तेजी नहीं दिखी। शादी-विवाह का मौसम खत्म होने और निवेशकों की सतर्कता के चलते हाजिर बाजार में सोने की खरीदारी सीमित रही।
चांदी की चमक: तेजी के संकेत
चांदी ने बीते सप्ताह सोने की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया। एमसीएक्स पर चांदी की कीमतें ₹92,000 प्रति किलोग्राम के पार गईं। वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में COMEX पर चांदी $29.70 प्रति औंस के करीब रही।
चांदी की तेजी के पीछे निम्नलिखित प्रमुख कारण रहे:
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औद्योगिक मांग में वृद्धि: इलेक्ट्रिक वाहनों, सोलर पैनलों और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग से जुड़ी मांग में बढ़ोतरी चांदी के लिए सकारात्मक कारक रही।
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ग्लोबल सप्लाई चिंताएं: चिली और पेरू जैसे प्रमुख उत्पादक देशों में आपूर्ति श्रृंखला में रुकावट ने कीमतों को समर्थन दिया।
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सोने की तुलना में कम कीमत पर उपलब्धता: चांदी अब भी निवेश के लिहाज से सोने की तुलना में अधिक किफायती विकल्प बनी हुई है, जिससे खुदरा निवेशकों की रुचि इसमें बनी हुई है।
निवेशकों के लिए क्या संकेत हैं?
वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में सोना और चांदी दोनों ही सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देखे जा रहे हैं। हालांकि, विश्लेषक मानते हैं कि निकट भविष्य में चांदी में ज्यादा वोलैटिलिटी देखने को मिल सकती है, जबकि सोना अधिक स्थिर बना रह सकता है।
तकनीकी स्तरों पर नजर डालें तो:
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सोना ₹71,500 का मजबूत समर्थन स्तर बनाए हुए है, जबकि ₹73,200 के पास इसका अगला प्रतिरोध है।
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चांदी ₹89,500 के स्तर पर समर्थन पाकर ₹93,000 की ओर बढ़ने की कोशिश कर सकती है।
आगे की संभावनाएं: अगस्त में क्या हो सकता है?
सोने के लिए:
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अगर अमेरिकी फेड आगामी बैठकों में नरम रुख अपनाता है, तो सोने में 1-2% की तेजी आ सकती है।
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भारत में त्योहारी सीजन की शुरुआत (जैसे रक्षाबंधन और गणेश चतुर्थी) से मांग में सुधार की उम्मीद है, जो कीमतों को समर्थन देगा।
चांदी के लिए:
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औद्योगिक गतिविधियों में तेजी और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी पर जोर से चांदी की मांग और बढ़ सकती है।
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अगर COMEX पर चांदी $30 का स्तर पार करती है, तो घरेलू बाजार में यह ₹95,000 प्रति किलो तक जा सकती है।
निष्कर्ष:
सोने और चांदी दोनों में दीर्घकालिक दृष्टिकोण से निवेश को सुरक्षित माना जा सकता है, विशेषकर उस दौर में जब आर्थिक और भू-राजनीतिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं। हालांकि, अल्पकालिक निवेशकों को बाजार की वोलैटिलिटी का ध्यान रखते हुए स्टॉप लॉस के साथ ही ट्रेडिंग करनी चाहिए। आने वाले सप्ताहों में अमेरिकी आर्थिक आंकड़े, वैश्विक ब्याज दरों की दिशा और त्योहारी मांग की स्थिति कीमती धातुओं की दिशा तय करेंगे।
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