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नई दिल्ली: भारत के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (Index of Industrial Production – IIP) में जून 2025 में 1.5% की साल-दर-साल वृद्धि दर्ज की गई है। यह जानकारी आज केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) द्वारा जारी की गई, जो देश में आर्थिक गतिविधियों के प्रमुख संकेतकों में से एक है। यह वृद्धि मुख्य रूप से मैन्युफैक्चरिंग (निर्माण) क्षेत्र में 3.9% की मजबूती के कारण हुई है, जबकि खनन और विद्युत क्षेत्रों में गिरावट देखी गई।
IIP के ये तात्कालिक (Quick Estimates) आंकड़े देशभर के उद्योगों और कारखानों से एकत्रित डाटा के आधार पर तैयार किए जाते हैं। अब यह हर माह की 28 तारीख (या अगले कार्य दिवस) को नियमित रूप से प्रकाशित किया जाएगा।
मुख्य बिंदु: जून 2025 IIP रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष
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कुल IIP वृद्धि दर:
जून 2025 में IIP 153.3 रहा, जबकि यह जून 2024 में 151.0 था — यानी साल-दर-साल 1.5% की बढ़त। -
तीन प्रमुख क्षेत्रों का प्रदर्शन:
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मैन्युफैक्चरिंग (निर्माण): +3.9%
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खनन (Mining): -8.7%
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विद्युत (Electricity): -2.6%
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विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में प्रदर्शन:
23 औद्योगिक समूहों में से 15 ने जून 2025 में सकारात्मक विकास दर्ज किया।
कौन-कौन से उद्योग बने विकास के इंजन?
1. मूल धातुओं का निर्माण (Manufacture of Basic Metals):
यह समूह जून में 9.6% की वृद्धि के साथ IIP वृद्धि का एक मुख्य चालक रहा। इस श्रेणी में “MS स्लैब्स”, “HR कॉइल्स व शीट्स”, और “स्टील के पाइप व ट्यूब्स” जैसे उत्पादों की खपत में उल्लेखनीय इजाफा हुआ।
2. कोक और परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पाद (Coke & Refined Petroleum):
यह श्रेणी 4.2% की वृद्धि के साथ IIP में सहायक रही। इसमें डीजल, नैफ्था और पेट्रोल जैसे उत्पादों का योगदान प्रमुख रहा।
3. अन्य धातु उत्पाद (Fabricated Metal Products, Except Machinery):
यह उद्योग 15.2% की वृद्धि के साथ तीसरा बड़ा योगदानकर्ता रहा। इसमें कंस्ट्रक्शन टावर्स के लिए फ्रेमवर्क्स, फोर्ज्ड ब्लैंक्स, और स्टेनलेस स्टील बर्तन जैसे उत्पाद शामिल हैं।
उपयोग आधारित वर्गीकरण (Use-based Classification)
IIP को विभिन्न वस्तुओं की उपयोगिता के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है। इस वर्गीकरण के अनुसार जून 2025 में दर्ज की गई वृद्धि दरें निम्नलिखित हैं:
| श्रेणी | वृद्धि दर |
|---|---|
| प्राथमिक वस्तुएं (Primary Goods) | -3.0% |
| पूंजीगत वस्तुएं (Capital Goods) | +3.5% |
| मध्यवर्ती वस्तुएं (Intermediate Goods) | +5.5% |
| निर्माण/इन्फ्रास्ट्रक्चर वस्तुएं (Construction Goods) | +7.2% |
| उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं (Consumer Durables) | +2.9% |
| उपभोक्ता अल्पकालिक वस्तुएं (Non-durables) | -0.4% |
इसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर/कंस्ट्रक्शन, मध्यवर्ती, और उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं शीर्ष तीन सकारात्मक योगदानकर्ता रहीं।
मासिक तुलनात्मक स्थिति
पिछले महीने मई 2025 के IIP आंकड़े को अंतिम रूप देते हुए 1.2% वृद्धि दर्ज की गई थी। इसके मुकाबले जून की 1.5% वृद्धि एक मामूली सुधार को दर्शाती है।
जून 2025 के आंकड़े 89.2% फैक्ट्रियों से प्राप्त रिपोर्ट्स पर आधारित हैं, जबकि मई के संशोधित आंकड़े 93.6% रिस्पॉन्स पर आधारित हैं।
नीतिगत संकेत और संभावनाएं
IIP डेटा नीति निर्धारण, निवेश योजना और अर्थव्यवस्था की दिशा समझने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक है। जून 2025 के आंकड़े बताते हैं कि देश का निर्माण क्षेत्र सुधार के रास्ते पर है, खासकर स्टील, पेट्रोलियम और धातु उत्पादों में अच्छी गति देखी गई है। हालांकि खनन और बिजली क्षेत्र में गिरावट चिंता का विषय बनी हुई है।
उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं में वृद्धि का मतलब है कि आम लोगों की खपत बढ़ रही है, जो आर्थिक सुधार का सकारात्मक संकेत है। बुनियादी ढांचे और मध्यवर्ती उत्पादों की वृद्धि से यह भी साफ होता है कि निर्माण व मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में गति है।
भविष्य की दिशा
अब सवाल यह है कि क्या यह वृद्धि दर आने वाले महीनों में बनी रह सकती है? इसका जवाब मानसून की प्रगति, वैश्विक मांग, ऊर्जा कीमतें और सरकार की उत्पादन समर्थक नीतियों पर निर्भर करेगा।
अगर बिजली और खनन क्षेत्र भी अगले महीनों में उभरते हैं, तो कुल IIP में उल्लेखनीय तेजी देखी जा सकती है। आने वाला जुलाई 2025 का डेटा (जो 28 अगस्त को जारी होगा) इस दिशा में और स्पष्टता प्रदान करेगा।
निष्कर्ष
जून 2025 के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े मिश्रित संकेत देते हैं। एक ओर जहां मैन्युफैक्चरिंग और निर्माण गतिविधियों में रफ्तार बनी हुई है, वहीं खनन और बिजली जैसे क्षेत्रों में सुस्ती चुनौती पेश कर सकती है।
हालांकि, 1.5% की वृद्धि मामूली है, लेकिन यह लगातार दूसरे महीने सकारात्मक रुझान को दर्शाती है, जो भारतीय औद्योगिक अर्थव्यवस्था के लिए एक उम्मीद की किरण हो सकती है।
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